नई दिल्ली: इराक में आतंकवादी संगठन इस्लामिक स्टेट (आईएस) के शिकार बने 38 भारतीयों का अवशेष भारत लौट चुका है. सभी भारतीय 2014 से लापता थे और उनके मौत की पुष्टि इसी महीने भारत सरकार ने की. अब सवाल उठता है कि इन 38 भारतीयों के आश्रितों का परिवार कैसे चलेगा? शोकाकुल परिवार आर्थिक मदद के साथ नौकरी की मांग कर रहे हैं. लेकिन कोई आस नहीं दिख रही है.


अवशेषों को अमृतसर लेकर पहुंचे विदेश राज्य मंत्री विक्रम सिंह के बयान पर गौर करें तो यह साफ है कि केंद्र सरकार फिलहाल कोई मदद नहीं दे रही है. उन्होंने कहा, 'किसी को नौकरी देना बिस्कुट बांटने वाला काम नहीं है. ये लोगों की जिंदगी से जुड़ा सवाल है आ गई बात समझ में? मैं अभी ऐलान कहां से करूं, जेब में कोई पिटारा तो रखा हुआ नहीं है.'





विदेश राज्य मंत्री ने कहा, ''बोलना नहीं चाहिए लेकिन हमारे 40 आदमी (जो इराक गये) का एंबेसी में रिकॉर्ड नहीं था. सभी गैरकानूनी एजेंट के माध्यम से गये थे. इनका कोई बीमा नहीं होगा. अगर ये कानूनी एजेंट की माध्यम से जाते तो बीमा कराना जरूरी था.''



हालांकि पंजाब सरकार ने पीड़ित परिजनों के लिए कई राहत देने की घोषणा की है. पंजाब सरकार के मंत्री नवजोत सिंह सिद्धू ने कहा, ''प्रत्येक पीड़ित परिवार को 5 लाख रुपये नकद, 20,000 रुपये प्रतिमाह पेंशन और परिवार के एक व्यक्ति को नौकरी दी जाएगी.''


कांग्रेस और मारे गये भारतीयों के परिजनों की मांग है कि केंद्र की मोदी सरकार परिजनों को आर्थिक मदद दे. कांग्रेस के सांसदों ने मंगलवार को संसद की छत पर चढ़कर प्रदर्शन किया. उनके हाथों में तख्तियां थी.





आपको बता दें कि इराक में मारे गये 39 भारतीयों में पंजाब के 27, हिमाचल प्रदेश के चार, बिहार के छह और पश्चिम बंगाल के दो नागरिक शामिल थे. इराक में मारे गये कुलविंदर सिंह की रोती-बिलखती पत्नी के सामने सवाल है कि उनका परिवार अब कैसे चलेगा? घर में कोई कमाने वाले नहीं हैं. छोटे-छोटे बच्चे हैं. उनकी परवरिश कैसे होगी? उन्होंने एबीपी न्यूज से बात करते हुए कहा कि सरकार उन्हें आर्थिक मदद और नौकरी दे. उन्होंने कहा कि कुलविंदर 2 लाख रुपये कर्ज लेकर इराक गये थे. उस कर्ज में से मात्र 50 हजार ही चुका पाए हैं.


आतंकवादी संगठन इस्लामिक स्टेट द्वारा जून 2014 में इराक के मोसुल शहर पर कब्जा करने के बाद वहां काम करने वाले सभी भारतीय लापता हो गए थे. सभी काम की तलाश में इराक गये थे. लेकिन आईएस ने उन्हें मौत के घाट उतार दिया.


विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने 20 मार्च को संसद को सूचित किया था कि इराक में मजदूरी का काम कर रहे जिन 39 भारतीयों का 2014 में मोसुल से अपहरण हो गया था, उनकी हत्या हो गई है. इससे पहले इराक से बच निकले हरजीत मसीह ने दावा किया था कि आईएस ने 39 भारतीयों की गोली मारकर हत्या कर दी है.