Judge Retirement Age: न्याय विभाग ने एक संसदीय पैनल से कहा कि सुप्रीम कोर्ट, हाई कोर्ट के जजों की रिटायरमेंट की उम्र बढ़ाने की वजह से बेहतर काम नहीं करने वाले जजों की सेवा के वर्षों का विस्तार हो सकता है. उन्होंने बताया कि सरकारी कर्मचारियों के भी इसी तरह की मांग उठाने से इसका व्यापक असर हो सकता है.
न्याय विभाग ने यह भी कहा कि सुप्रीम कोर्ट, हाई कोर्ट में नियुक्तियों में पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करने के उपायों के साथ-साथ जजों की रिटायरमेंट की आयु बढ़ाने पर भी विचार किया जाएगा. बता दें कि कानून मंत्री किरेन रीजीजू ने संसद को सूचित किया था कि उच्चतम न्यायालय और उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों की रिटायरमेंट की आयु बढ़ाने का कोई प्रस्ताव नहीं है.
रिटायरमेंट आयु बढ़ाने पर किया जाना चाहिए विचार
न्याय विभाग ने कार्मिक, कानून और न्याय पर संसदीय समिति के समक्ष प्रस्तुति दी. समिति की अध्यक्षता भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के सांसद एवं बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री सुशील मोदी कर रहे हैं. विधि और न्याय मंत्रालय (Ministry of Law and Justice) के विभाग ने प्रस्तुति दी, जिसमें उच्च न्यायालय और उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीशों की रिटायरमेंट की आयु बढ़ाने की संभावना सहित न्यायिक प्रक्रियाओं और सुधारों का विवरण शामिल था.
विभाग ने अपनी प्रस्तुति में कहा, "रिटायरमेंट की आयु बढ़ाने से कुछ अनुपयुक्त मामलों में सेवा की अवधि बढ़ाने के संदर्भ में लाभ बढ़ सकता है लेकिन बेहतर प्रदर्शन नहीं करने वाले न्यायाधीशों की सेवाओं को जारी रखना पड़ सकता है." इसने यह भी सुझाव दिया कि लंबित मामलों को कम करने और न्यायपालिका में पारदर्शिता लाने के साथ-साथ न्यायाधीशों की रिटायरमेंट की आयु बढ़ाने पर विचार किया जाना चाहिए.
सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश 65 वर्ष में होते हैं रिटायर
विभाग ने कहा कि रिटायरमेंट की आयु बढ़ाने से न्यायाधिकरण पीठासीन अधिकारी या न्यायिक सदस्यों के तौर पर रिटायरमेंट न्यायाधीशों से वंचित रह जाएंगे. इसमें यह भी आगाह किया गया कि रिटायरमेंट की आयु का व्यापक प्रभाव हो सकता है. उन्होंने कहा, "न्यायाधीशों की रिटायरमेंट की आयु में वृद्धि का व्यापक प्रभाव होगा, क्योंकि केंद्र और राज्य स्तर पर सरकारी कर्मचारी, पीएसयू, आयोग आदि इसी तरह की मांग उठा सकते हैं, इसलिए, इस मुद्दे की समग्रता से जांच किए जाने की जरूरत है." बता दें कि उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश 65 वर्ष की आयु में रिटायर होते हैं, और देश के 25 उच्च न्यायालयों के न्यायाधीश 62 वर्ष की आयु में रिटायर होते हैं.
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