नई दिल्ली: आज सरकार और किसानों के बीच आठवें दौर की बैठक होगी. आंदोलनरत किसान तीनों कृषि कानूनों को रद्द करने की मांग पर अड़े हुए हैं. रविवार को किसानों के आंदोलन का 39वां दिन रहा. सिंघू बॉर्डर पर डटे गुरविंदर सिंह ने कहा कि कुछ स्थानों में पानी भर गया है और समुचित जन सुविधाएं नहीं हैं. उन्होंने कहा कि अनेक समस्याओं के बावजूद भी हम यहां से तब तक नहीं हिलने वाले जब तक कि हमारी मांगे पूरी नहीं हो जातीं. इससे पहले 30 दिसंबर को सरकार और 41 किसान संगठनों के प्रतिनिधियों के बीच बैठक हुई थी. इसमें दो मुद्दों बिजली बिल और पराली बिल पर सहमति बनी थी.
बैठक से पहले भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत ने कहा, "कल का एजेंडा रहेगा स्वामीनाथन कमेटी की रिपोर्ट, तीन कृषि क़ानूनों की वापसी और न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) पर क़ानून बने. हम वापस नहीं जाएंगे. अब तक 60 किसान शहीद हो चुके हैं. सरकार को जवाब देना होगा."
भारतीय किसान यूनियन कादियां के प्रधान हरमीत सिंह ने कहा कि 13 जनवरी को हम कृषि क़ानूनों की कॉपियां जलाकर लोहड़ी के त्योहार को मनाएंगे. 6-20जनवरी के बीच देशभर में किसानों के पक्ष में धरना-प्रदर्शन, मार्च आदि आयोजित किए जाएंगे. 23 जनवरी को आज़ाद हिन्द किसान दिवस मनाया जाएगा.
दिल्ली में सिंघू बॉर्डर पर किसान नेता मंजीत सिंह राय ने रविवार को कहा, "आज संगरूर में किसानों पर लाठीचार्ज किया गया. हम इसकी निंदा करते है. हम पंजाब सरकार को अवगत कराते हैं कि आपने अगर किसानों पर लाठीचार्ज बंद नहीं किए तो उनके खिलाफ पंजाब में मोर्चा खोला जाएगा."
वहीं केंद्रीय कृषि राज्य मंत्री कैलाश चौधरी ने उम्मीद जताई कि कल की बैठक में समझौता होगा और किसानों की समस्याओं का हल निकलेगा. उन्होंने कहा, "हमें पूरी उम्मीद है कि किसानों के साथ कल होने वाली बैठक में समझौता होगा और किसानों की समस्या का हल निकलेगा. हमें आशा है कि बातचीत होगी और आंदोलन का समापन होगा."
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