नई दिल्ली: कोरोना की इलाज में इस्तेमाल होने वाली सभी जरूरी दवाओं की आपूर्ति पर सरकार निगरानी कर रही है. वहीं सरकार के मुताबिक सभी कोविड-19 दवाएं अब भारत में उपलब्ध हैं और कोई कमी नहीं है.  


फार्म क्यूटिकल्स राज्य मंत्री मनसुख मंडाविया के मुताबिक सरकार कोविड-19 आवश्यक दवा की आपूर्ति की निगरानी कर रही है. कोरोना के क्लीनिकल मैनेजमेंट में इस्तेमाल की जाने वाली सभी दवाएं अब भारत में उत्पादन बढ़ाने और आयात बढ़ाने के लिए उपलब्ध हैं. इसकी खास रणनीति भी सरकार ने तैयार की है.  


फिलहाल कोरोना के इलाज में इस्तेमाल होने वाली दवा कितनी हैं और इसको लेकर क्या तैयारी हैं. प्रोटोकॉल दवाएं जैसे- रेमेडिसविर, एनोक्सापारिन, मिथाइलप्रेडनिसोलोन, डेक्सामेथासोन, टोसीलिज़ुमैब, आइवरमेक्टिन और नॉन-प्रोटोकॉल दवाएं जैसे फेविपिरवीर, एम्फोटेरिसिन, एपिक्सामबा की प्रोडक्शन, सप्लाई, डिमांड पर सरकार की नज़र है.  


सीडीएससीओ और एनपीपीए उत्पादन बढ़ाने और मौजूदा स्टॉक, वर्तमान क्षमता, मई के लिए अनुमानित उत्पादन के बारे में डेटा प्राप्त करने के लिए निर्माताओं के साथ समन्वय कर रहे हैं. वहीं दवाओं की बात करें तो-  


- रेमडेसिविर का उत्पादन करने वाले प्लांट्स की संख्या 20 से बढ़कर 60 हो गई, जिसके परिणामस्वरूप केवल 25 दिनों में 3 गुना से ज्यादा उपलब्धता हुई. उत्पादन 10 गुना बढ़ गया. अप्रैल में 10 लाख वायल हर महीने बनते थे अब वो मई में 1 करोड़ प्रति माह हो गया है. 


- टोसीलिज़ुमैब सामान्य समय की तुलना में 20 गुना अधिक आयात करके देश में उपलब्ध कराया जा रहा है. 


- डेक्सामेथासोन 0.5 मिलीग्राम टैबलेट, एक महीने के भीतर उत्पादन 6-8 गुना से बढ़ा है. डेक्सामेथासोन इंजेक्शन का उत्पादन लगभग 2 गुना बढ़ गया. 


- एनोक्सापारिन इंजेक्शन का उत्पादन सिर्फ एक महीने में 4 गुना बढ़ गया. 


- मिथाइल प्रेडनिसोलोन इंजेक्शन, एक महीने में उत्पादन लगभग 3 गुना बढ़ गया. 


- आइवरमेक्टिन 12 mg टैबलेट का उत्पादन देश में एक महीने के भीतर 5 गुना बढ़ा. अप्रैल में 150 लाख से बढ़कर मई में 770 लाख हो गया. 


- फेविरपिरवीर, एक नॉन-प्रोटोकॉल दवा है, लेकिन इसका उपयोग वायरस लोड को कम करने के लिए किया जाता है. एक महीने में इसका उत्पादन 4 गुना बढ़ गया. अप्रैल में 326.5 लाख से, 21 मई में 1644 लाख हो गया. 


- एम्फोटेरेसिन बी इंजेक्शन, एक महीने में इसका उत्पादन 3 गुना बढ़ा. 3.80 लाख वायल का उत्पादन हो रहा है और 3 लाख वायल का आयात किया जा रहा है, जिसे देश में कुल 6.80 लाख वायल उपलब्ध होंगी. 


इन सब दवाओं की डिमांड और सप्लाई पर सरकार की नज़र है. इनमें से बहुत सारी दवाओं की बीच में किल्लत हो गई थी. फिलहाल सरकार का दावा है की चीज़ें ठीक हैं और भारत में कोरोना के इलाज में इस्तेमाल की जानेवाली दवाओं की कमी नहीं है.