Govt. On Wheat Production: सरकार ने गेहूं की किल्लत की अटकलों पर विराम लगाते हुए कहा कि इस साल गेहूं की पैदावार और सरकारी ख़रीद लक्ष्य से कम होने की संभावना है लेकिन देश में गेहूं का पर्याप्त स्टॉक है. खाद्य मंत्रालय के मुताबिक इस साल किसानों को प्राइवेट व्यापारियों से एमएसपी से ज़्यादा कीमत मिल रही है और इसलिए किसान सरकार को कम गेहूं बेच रहे हैं. हालांकि इसके चलते आने वाले समय में गेहूं की कीमत बढ़ने का भी अंदेशा है. 


खाद्य मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक़, इस साल (2022-23) गेहूं की सरकारी ख़रीद 1.95 करोड़ टन रहने का अनुमान है जो पिछले साल (2021-22) के मुकाबले आधे से भी कम है. पिछले साल गेहूं की सरकारी ख़रीद 4.33 करोड़ टन थी. हालांकि सरकार के पास पहले से 1.90 करोड़ टन का बफ़र स्टॉक है जिसे मिलाकर 3.85 करोड़ टन का स्टॉक होगा. अगर खाद्य सुरक्षा और सितंबर तक लागू मुफ़्त अनाज जैसी योजनाओं को मिला भी दें तो 3.05 करोड़ टन गेहूं ख़र्च होने का अनुमान है. 


गेहूं के उत्पादन में कमी और सरकारी खरीद में कमी की आशंका के बीच आरएसएस से जुड़े भारतीय किसान संघ ने कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर और पीएमओ को एक पत्र लिखकर इस बारे में कदम उठाने के सुझाव दिए हैं. सरकार से किसानों को गेहूं पर 500 रुपये बोनस दिए जाने की मांग की गई है, ताकि किसान सरकार को गेहूं बेचे और सरकार के पास गेहूं का भंडारण पर्याप्त मात्रा में हो सके.


प्राइवेट व्यापारियों को गेहूं बेच रहे हैं किसान


सरकार के मुताबिक इसकी वजह ये है कि इस साल कई किसान अपना गेहूं सरकार को न बेचकर प्राइवेट व्यापारियों को बेच रहे हैं क्योंकि उन्हें निर्धारित एमएसपी से काफ़ी बेहतर क़ीमत मिल रही है. सरकारी अनुमान के मुताबिक़ प्राइवेट व्यापारी किसानों को गेहूं के लिए प्रति किलो 21-24 रुपए दे रहे हैं जबकि निर्धारित एमएसपी 20.15 रुपए प्रति किलो है. खासकर मध्यप्रदेश, उत्तरप्रदेश, राजस्थान और गुजरात जैसे राज्यों में किसानों को ऊंची क़ीमत मिल रही है. हालांकि किसानों को ऊंची कीमत मिलने का दूसरा पहलू ये है कि इसके चलते आने वाले दिनों में गेहूं की कीमत बढ़ सकती है.


उसकी वजह ये है कि जब प्राइवेट व्यापारी अपना गेहूं बाज़ार में उतारेंगे तो ऊंची क़ीमत पर बेचेंगे. सरकार ये तो मान रही है कि कीमत बढ़ेगी लेकिन ज़्यादा कीमत मिलने से किसानों को फायदा हो रहा है. वहीं इस साल जल्दी गर्मी आने और कुछ अन्य कारणों से गेहूं का उत्पादन लक्ष्य से करीब 65 लाख टन कम होने का अनुमान है. पहले 11.13 करोड़ टन उत्पादन का अनुमान था जबकि अब 10.5 करोड़ टन रहने का अनुमान है. 


भारत के व्यापारियों को गेहूं निर्यात करने का मौक़ा मिला


खाद्य सचिव ने बताया कि रूस यूक्रेन संकट के चलते अंतर्राष्ट्रीय बाज़ार में गेहूं की कमी से जो अवसर पैदा हुए हैं उससे भारत के व्यापारियों को गेहूं निर्यात करने का मौक़ा मिला है. अबतक 40 लाख टन गेहूं के निर्यात का ऑर्डर आ चुका है जिनमें मिश्र और टर्की जैसे देश शामिल हैं. गेहूं के उत्पादन में कमी और सरकारी खरीद में कमी की आशंका के बीच आरएसएस से जुड़े भारतीय किसान संघ ने कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर और पीएमओ को एक पत्र लिखकर इस बारे में कदम उठाने के सुझाव दिए हैं. सरकार से किसानों को गेहूं पर ₹500 बोनस दिए जाने की मांग की गई है ताकि किसान सरकार को गेहूं बेचे और सरकार के पास गेहूं का भंडारण पर्याप्त मात्रा में हो सके. 


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