नई दिल्ली: अगर सबकुछ ठीक रहा तो देश की निचली अदालतों में जजों के खाली पड़े तमाम पद कुछ ही दिनों में भर दिए जाएंगे. कानून मंत्रालय, सुप्रीम कोर्ट के साथ मिलकर इस दिशा में काम कर रहा है. मंत्रालय चाहता है कि एक ही बार में 6 हजार से अधिक लोअर कोर्ट्स के जजों की बहाली की जाए. एक अनुमान के मुताबिक अभी देश की निचली अदलतों में 5,400 जजों के पद रिक्त हैं.


इन पदों पर भर्ती संघ लोक सेवा आयोग या इस तरह की कोई बड़ी एजेंसी कर सकती है. चयन परीक्षा का आयोजन डिस्ट्रिक्ट कोर्ट और सबऑर्डिनेट कोर्ट के लिए अलग-अलग किए जाएगा. इस भर्ती में मेडिकल के लिए आयोजित की जाने वाली परीक्षा नीट की तर्ज पर क्षेत्रीय भाषाओं को महत्व दिया जाएगा. परीक्षा आयोजित करने के बाद अखिल भारतीय स्तर पर मेरिट लिस्ट तैयार किया जाएगा. इसी मेरिट के आधार पर फाइनल सेलेक्शन किया जाएगा.


हालांकि, भर्ती संबंधित फाइनल आदेश सुप्रीम कोर्ट को देना है. फिलहाल सुप्रीम कोर्ट अभी एक याचिका पर सुनावाई कर रहा है जिसके तहत कोर्ट इस बात पर फैसला देगी कि क्या लोअर कोर्ट में नियुक्ति के लिए एक अलग बोर्ड का गठन किया जाएगा या नहीं. इससे पहले इन पदों की बहाली के लिए स्वतंत्र बोर्ड के गठन का राज्यों और हाई कोर्ट्स ने विरोध किया था.


खाली पड़े हजारों जजों की बहाली में सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई के बयान के बाद तेजी आयी है. एक कार्यक्रम में उन्होंने कहा था कि निचली अदालतों में लंबित करोड़ों केस के निपटारे के लिए जजों के रिक्त पदों को भरना जरूरी है. वर्तमान में देश के लोअर कोर्ट्स में 2.78 करोड़ मुकदमे लंबित हैं.


इस समय निचली अदालतों में जजों की बहाली हाई कोर्ट और राज्य सरकारों के द्वारा की जाती है. समय पर बहाली नहीं होने के कारण जजों की रिक्तियां निचली अदालतों में बहुत बढ़ गई हैं. पिछले साल कानून मंत्रालय ने सुप्रीम कोर्ट से लोअर कोर्ट्स में जजों की बहाली के लिए एक सेंट्रल कमिटी के गठन का निवेदन किया था. इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने 9 मई, 2017 को इस निवेदन को याचिका में बदल दिया था और सभी राज्य और हाई कोर्ट्स से इस पर विचार आमंत्रित किए थे.


हालांकि, सभी राज्य और हाई कोर्ट सेंट्रल कमिशन के द्वारा निचली अदालतों में जजों की बहाली पर सहमत नहीं हैं, लेकिन सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश चाहते हैं कि खाली पड़े सीटों को भरने के लिए एक बार में जजों की बहाली हो. इस बहाली में राज्य सरकार अखिल भारतीय मेरिट लिस्ट के आधार पर जजों की नियुक्ति करेगी और इसका प्रशासनिक अधिकार संबंधित हाई कोर्ट के पास होगा.


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