नई दिल्ली: इलेक्ट्रिक वाहनों को बड़े पैमाने पर प्रोत्साहन देने के मद्देनजर सरकार ने शुक्रवार को मोटर वाहन अधिनियम में संशोधन का प्रस्ताव किया है, जिसके तहत 15 साल से ज्यादा पुराने वाहनों को इस्तेमाल से हटाकर कबाड़ में भेजने का प्रावधान किया गया है.


अधिसूचना के मसौदे के मुताबिक सरकार की योजना है कि 15 साल पुराने वाहनों के ठीक-ठाक होने के प्रमाणपत्र का नवीनीकरण हर छह माह में कराया जाए. अभी यह नवीनीकरण कराने की समयसीमा एक साल है. सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय ने एक बयान में कहा, "मंत्रालय ने केंद्रीय मोटर वाहन नियम में संशोधन की मसौदा अधिसूचना जारी की है. इसका मकसद इलेक्ट्रिक वाहनों को प्रोत्साहन देना, दिव्यांगों के अनुकूल बसों को सुनिश्चित करना और एक ऐसी प्रणाली स्थापित करना जो 15 साल पुराने वाहनों को कबाड़ में भेज सकें."


इसके तहत 15 साल पुराने वाहनों के ठीक-ठाक होने की जांच करने और इसका प्रमाणपत्र नवीनीकृत करने की फीस को भी बढ़ाया गया है. मसौदे के मुताबिक मध्यम और भारी मोटर वाहन श्रेणी के तहत नवीनीकृत प्रमाणपत्र के लिए मैनुअल वाहनों के लिए जांच शुल्क 1,200 रुपये और स्वचालित वाहनों के लिए 2,000 रुपये है.


बैटरी चालित वाहनों को पंजीकरण प्रमाणपत्र के नवीनीकरण छूट दी जाएगी और उन्हें नया पंजीकरण दे दिया जाएगा. मसौदे में नये खरीदे गए वाहनों को नए पंजीकरण प्रमाणपत्र शुल्क से सशर्त छूट देने का भी प्रस्ताव है. उसे यह छूट उसके द्वारा उसी श्रेणी के पुराने वाहनों के कबाड़ होने का प्रमाणपत्र दिखाने पर दी जाएगी. प्रमाणपत्र एक अधिकृत एजेंसी या केंद्र द्वारा जारी होना चाहिये.


मध्यम और भारी श्रेणी वाहन में नए वाहनों के लिए पंजीकरण शुल्क 20,000 रुपये रखने और नवीनीकरण के लिए 40,000 रुपये तय करने का प्रस्ताव है. इसी प्रकार चार या उसे अधिक पहियों वाले आयातित मोटर वाहनों के नए वाहन पंजीकरण का शुल्क 20,000 रुपये और नवीनीकरण के लिए 40,000 रुपये रखने का प्रस्ताव है.



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