नई दिल्ली: हाउसिंग एंड अर्बन अफ़ेयर मिनिस्ट्री ने अक्टूबर में देश के 24 बड़े कलाकारों को दिल्ली में मिले उनके सरकारी आवासों को ख़ाली करने का अंतिम नोटिस दे दिया है. इन कलाकारों में पद्मश्री और संगीत नाटक अकादमी जैसे प्रतिष्ठित पुरस्कारों से नवाज़े जा चुके देश के जाने माने कलाकार शामिल हैं. सरकार के इस आदेश से एक ओर ये सीनियर सिटिजन कलाकार दुःखी हैं, वहीं दूसरी ओर आवासन मंत्रालय अपने फ़रमान के पक्ष में कई दलीलें पेश कर रहा है.
किन कलाकारों को घर ख़ाली करने का आदेश मिला है?
जिन 24 कलाकारों को हाउसिंग मिनिस्ट्री से 31 दिसम्बर तक सरकारी घर ख़ाली करने को कहा गया है उनमें पद्मविभूषण कथक नर्तक पंडित बिरजू महाराज, 80 वर्षीय पेंटर जतिन दास, पद्मश्री संतूर वादक पंडित भजन सोपोरी, पद्म श्री नृत्यांगना रीता गांगुली, ध्रुपद शैली के पद्म श्री शास्त्रीय गायकउस्ताद एफ. वसीफुद्दीन डागर, मोहिनीअट्टम नृत्यांगना भारती शिवाजी, कूचिपूड़ी नृत्यांगना वनाश्री राव और भारतीय नृत्य इतिहासकार सुनील कोठारी आदि शामिल हैं.
क्या कहा पद्मश्री पंडित भजन सोपोरी ने
एबीपी न्यूज़ से बात करते हुए पद्मश्री संतूरवादक पंडित भजन सोपोरी ने कहा, “मैं एबीपी न्यूज़ का बहुत शुक्रगुजार हूं कि आप ने यह मुद्दा उठाया. यह मुद्दा बहुत इंपॉर्टेंट है और नेशनल इंटरेस्ट का मुद्दा है. जिन कलाकारों को नोटिस किया है वह कंट्री के बहुत ही लीजेंड आर्टिस्ट हैं. इंटरनेशनल लेवल पर बेस्ट हैं.”
इसके आगे उन्होंने कहा, “उनका इस देश के लिए बहुत कंट्रीब्यूशन रहा है. मैं यह कहूंगा कि हम परेशान भी हैं और हमें दुख भी है. दुख इस बात का है कि हमारे माननीय प्रधानमंत्री साहब की एक सोच है वह बहुत ही कंसर्न्ड हैं, हर लेवल पर, जब यह महामारी शुरू हुई तो उन्होंने पहले ही देशवासियों से आग्रह किया था कि आप अपने किरायेदारों को भी अपने घर में ही रखें उनको शिफ्ट नहीं करवाएंगे. लेकिन अब मुझे इस बात का बेहद दुख है कि प्रधानमंत्री जी के इस निवेदन रूपी आदेश को भी मंत्रालय नहीं मान रहा और हमसे घर खाली करने के लिए कह रहे हैं जबकि वक्त ठीक नहीं है. एक कलाकार पूरे विश्व में देश का नाम रौशन करता है. सरकार को कलाकारों के साथ ये नहीं करना चाहिए. 250 से ज्यादा पुरस्कार मुझे मिल चुके हैं. करीब 60 साल से मैं परफॉर्म कर रहा हूं. इस बात का ख़्याल रखना चाहिए कि आर्टिस्ट बहुत सेंसिटिव होता है वह अपनी साधना करके किसी लेवल पर पहुंचता है. सरकार को इस मुद्दे पर दोबारा विचार करना चाहिए.”
क्या कहा उस्ताद एफ. वसीफुद्दीन डागर ने
पद्मश्री शास्त्रीय गायक वसीफुद्दीन डागर ने एबीपी न्यूज़ से बात करते हुए कहा कि मुझे 10 अक्टूबर को नोटिस मिला. सरकार कह रही है कह रही है कि सबकी मियाद होती है, लोगों की जब तक जॉब होती है तब तक फ्लैट होते हैं. लेकिन हमें मकान देश सेवा के लिए दिया गया है और आर्टिस्ट तो रिटायर नहीं होता है. हमको उसी बेस पर मिला था और यह कहा गया था कि हर 3 साल बाद एक्सटेंशन होता रहेगा, आप यहां पर रहेंगे तो यह हमारे लिए बहुत बड़ा सम्मान है और उसी सम्मान की वजह से हमने इसे लिया था. देश-विदेश में हम बड़े गर्व से बोलते हैं कि हमारी सरकार ने हमें रहने के लिए घर दिया है. देश और समाज के लिए इतना सब कुछ करने के बाद मंत्रालय के इस बर्ताव से तमाम हस्तियां आहत हैं. सभी को सरकार से उम्मीद है कि इस फैसले पर फिर से विचार किया जाएगा.
कलाकारों ने लिखा है मंत्रालय को पत्र
इस मामले ने इन कलाकारों के पक्ष में कई अन्य कलाकार भी सामने आए हैं. इन सभी कलाकारों ने हाउसिंग मिनिस्ट्री को एक साझा पत्र लिख कर मंत्रालय से देश का नाम रोशन करने वाले और विदेशों में देश का सांस्कृतिक प्रतिनिधित्व करने वाले इन बुज़ुर्ग और महान कलाकारों से घर न ख़ाली कराए जाने को लेकर आग्रह किया है.
कलाकारों से घर ख़ाली कराने के पीछे सरकार के तर्क
एबीपी न्यूज़ से बात करते हुए हाउसिंग एंड अर्बन अफ़ेयर मिनिस्ट्री के राष्ट्रीय प्रवक्ता ने कलाकारों से घर ख़ाली कराने के पीछे मंत्रालय की ओर से कुल 6 तर्क दिए हैं-
- सरकार कलाकारों को उस वक़्त मदद करने के लिए मकान देती है जब वो युवावस्था में संघर्ष कर रहे हों या ज़रूरतमंद हों. उम्र भर के लिए किसी भी क्राइटेरिया में मकान नहीं दिए जाते.
- इन सभी 24 कलाकारों या इनके परिवारी जनों के नाम एक से अधिक निजी मकान हैं.
- इस मामले में हाउसिंग मिनिस्ट्री का कहना है कि 2014 से सितम्बर 2020 के बीच इन 24 कलाकारों में से हर एक के ऊपर हाउस डैमेज चार्ज के रूप में एक से डेढ़ करोड़ रुपये बकाया थे जिन्हें सरकार ने माफ़ कर दिया है. कुल बकाया 32 करोड़ रुपये सरकार ने माफ़ किए हैं.
- 2014 से ही ये कलाकार इल्लिगल रेसिपेंट्स के रूप में सरकारी मकानों पर क़ाबिज़ हैं. इसलिए ये कहना ग़लत है कि कोरोना कल में इनसे अचानक मकान ख़ाली कराया जा रहा है.
- इन कलाकारों को सिर्फ़ 3 साल के लिए सरकारी मकान एलॉट किए गए थे. इनसे लाइसेंस फ़ीस के रूप में दिल्ली के प्राइम लोकेशन के मकानों के लिए 12 से 15 हज़ार रुपये लिए जाते हैं. सभी कलाकारों को प्राइम लोकेशन पर मकान दिया गया है.
- इसी दौर में ऐसे सभी सरकारी अधिकारियों से भी मकान ख़ाली कराया गया है जिनकी अलॉटमेंट अवधि पूरी हो गई है.