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कोरोना के मुद्दे पर राज्यसभा में हुई चर्चा, सरकार ने कहा- संक्रमण से हुई मौतों का आंकड़ा छुपाने का आरोप गलत

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने सरकार पर लग रहे आरोपों को गलत बताया. उन्होंने कहा कि केंद्र तो सिर्फ राज्यों से मिले आकंड़ों को एक जगह रखती है और उसे सार्वजनिक करती है. खुद कोई आंकड़ा इकट्ठा नहीं करती.

Parliament Monsoon Session: कोरोना के मुद्दे पर आज राज्यसभा में करीबन 4:30 घंटे तक चर्चा चली. इस चर्चा के दौरान अलग-अलग राजनीतिक दलों ने कोरोना काल में सरकार द्वारा उठाए गए कदमों पर विस्तार से अपना पक्ष रखा. विपक्षी दलों का कहना था कि केंद्र सरकार ने जिस तरह के कदम उठाए जाने चाहिए थे वह नहीं उठाया और उसी के चलते कोरोना की दूसरी देव के दौरान देश में इस तरह के हालात बने और लोगों की सुविधा न मिलने के चलते मौत तक हुई.

वहीं केंद्र सरकार और सरकार का समर्थन करने वाले कुछ राजनीतिक दलों का कहना था कि यह बीमारी पूरे विश्व में कोहराम मचा रही थी ऐसे में भारत सरकार ने इस बीमारी से निपटने के लिए जो कदम उठाए बाकी देशों की तुलना में कहीं ज्यादा प्रभावी साबित हुए हैं. इसी का नतीजा है कि इतनी तेजी से मामले बढ़ने के बावजूद हम उस पर लगाम लगाने में सफल हुए.

इसी दौरान स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मांडवीया ने कहा कि केंद्र सरकार के ऊपर करो ना से मौतों के आंकड़ों को छिपाने का जो आरोप लग रहा है वह पूरी तरह गलत है क्योंकि केंद्र सरकार तो सिर्फ राज्यों से मिले आंकड़े को एक जगह रखती है और वह खुद कोई आंकड़ा इकट्ठा नहीं करती. इसी तरह से वैक्सिन की उपलब्धता को लेकर भी केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने सदन को जानकारी दी और बताया कि भारत में कितनी वैक्सीन अभी उपलब्ध है और आने वाले महीनों में कितनी उपलब्ध होगी.

चर्चा के दौरान कांग्रेसी सांसद मलिकार्जुन खड़गे ने कहा कि इस कोरोना काल के दौरान प्रवासी मज़दूरों की परेशानी सामने आई पर सरकार ने उनके बारे में कुछ नहीं सोंचा. केंद्र सरकार बस बस विज्ञापन देती रही, हालत ये रही कि लाशें नदियों में तैरती नज़र आईं, हज़ारों बच्चे अनाथ हो गए. इस कोरोना काल में कितने लोग मरे ये रहस्य ही बना रहेगा. सरकार 4 लाख मौतों की बात करती है लेकिन मौतें इससे कहीं ज़्यादा हुई.

खड़गे ने कहा कि हमारे देश में 6 लाख से ज़्यादा गांव है और किसी गांव में 5 लोगों की भी मौत हुई तो 31 लाख से ज़्यादा मौतें हुईं लिहाजा सरकार झूठे आंकड़े पेश कर रही है. प्रवासी मज़दूरों के लिए इंतेज़ाम होना चाहिए था लेकिन नहीं हुआ इसकी जिम्मेदार सरकार है. अस्पताल में ऑक्सीजन, बेड, वेंटिलेटर की कमी रही इसके बावजूद सरकार अपनी पीठ थपथपाती रही. लोग मर रहे थे आप थाली बजाने में मग्न हो गए आप लोगोज को झूठी तस्वीर पेश कर रहे थे बाकी देशों में दूसरी लहर की तैयारी की पर हमने नहीं कि. आप चुनाव करवाने में मस्त थे खुद आप ही कोरोना के नियमों का पालन नहीं कर रहे थे. हम सहयोग के लिए तैयार हैं जिससे कि जनता की जान को बचाई जा सके. चर्चा के दौरान सदन के नेता पीयूष गोयल ने कहा कि विपक्ष के नेता सरकार की आलोचना के साथ ही अच्छे सुझाव भी रखें जिससे कि अगर थर्ड वेव आती है तो हम बेहतर तरीके से तैयारी कर सकें.

इसके बाद बीजेडी सांसद अमर पटनायक ने कहा कि हमने 1 साल के भीतर 2 वैक्सीन डेवेलोप की जबकि कई विकसित देश भी 2 वैक्सीन नहीं डेवेलोप कर पाए. इसके साथ ही वेंटिलेटर बेडों की संख्या बढ़ाई और ऑक्सीजन की ज़रूरत के हिसाब से इंतेज़ाम किया. केंद्र सरकार और राज्य सरकार दोनों को मिलकर लड़ना होगा इस महामारी से.

चर्चा में हिस्सा लेते हुए नामित सांसद स्वपन दास गुप्ता ने कहा कि देश मे वैक्सीन मौजूद है और लोग चिल्लाते रहे कि वैक्सीन की कमी है वैक्सीन मिल नहीं रही. वही टीएमसी सांसद भुवनेश्वर कलिता ने कहा कि जब कोरोना के मामले फैल रहे थे पीएम नमस्ते ट्रम्प कार्यक्रम में व्यस्त थे उसके बाद मध्य प्रदेश में सरकार गिराने के लिए खरीद फरोख्त में लगे रहे. ग्रामीण इलाके में कोरोना के मामले पहुंच गए, प्रवासी मज़दूरों की मौत हुई. पश्चिम बंगाल की सीएम ने ऐसे मज़दूरों को काम दिया रोजगार दिया. दूसरी वेव आई और लोग ऑक्सीजन की कमी के चलते मारे गए, यूपी में नदियों में लाशें तैरती दिखीं, कुंभ मेले से कोरोना फैला. और ऐसे हालातों में भी बंगाल में 8 चरणों मे चुनाव करवाये गए और उसकी वजह से कोरोना के मामले कई गुना बढ़ गए. एक देश में एक ही वैक्सीन की अलग अलग कीमतें तय कर दीं. वैक्सीन निर्माता देश छोड़ कर जाने को मजबूर हो गए.

समाजवादी पार्टी सांसद रामगोपाल यादव ने कहा कि देश मे वैक्सीन की कीमत को लेकर भी सवाल उठे जो सुप्रीम कोर्ट के हस्तक्षेप के बाद सही हुआ. कोरोना से इलाज के लिए इस्तेमाल होने वाले रेमेडीसीवीर इंजेक्शन की खूब कालाबाज़ारी हुई. हमको स्वास्थ्य बजट को और बढ़ाना होगा जिससे कि ऐसी विपदाओं से निपट सकें.

इसके बाद जेडीयू सांसद रामनाथ ठाकुर ने कहा कि सरकार ने इस बीमारी को हल्के में नहीं लिया जिन लोगों की मौत हुई वो तो हुई लेकिन सरकार की कोशिशों और कदमों के चलते बड़ी संख्या में लोगों की जान बचाई गयी. देश मे वैक्सीन का इंतज़ाम किया और लोगों के इलाज के लिए सुविधाओं का इंतज़ाम किया. अब हमको तीसरी वेव से निपटने की तैयारी करनी होगी और इसको एक चैलेंज के तौर पर लेना होगा.

इसी दौरान आरजेडी सांसद मनोज झा ने कहा कि हमको उन लोगों से माफी मांगनी चाहिए जिनकी मौत का ज़िक्र नहीं हुआ. मनोज झा ने कहा कि हमारे बीच के सांसद चले गए. हमको किसी आंकड़े की बात नहीं करनी हम लाख कोशिशों के बाद भी लोगों की मदद नहीं कर पाए. ये 1947 से लेकर अब तक हम सबका कलेक्टिव फेलियर है. आप मुफ्त इलाज, मुफ्त राशन की बात कर रहे हो जबकि ये उसका हक है क्योंकि वो भी देश का करदाता है. हाहाकार जब मचा था तक केंद्र ही नहीं राज्य सरकार भी नाकाम रहे हैं.

शिवसेना सांसद संजय रावत ने कहा कि हम भयानक दौर से गुज़र रहे हैं पीएम ने 21 दिन की मांग की थी और कितने दिन चाहिए इस बीमारी से निपटने के लिए और उसकी तैयारी करने के लिए. हम सब एक राष्ट्रीय आपत्ति से गुज़र रहे हैं. ऐसा मंज़र कभी नहीं देखा, शमशान में लंबी कतारें लगी थीं. राउत ने सवाल उठाते हुए पूछा कि आखिर सरकार मौतों का आंकड़ा क्यों छुपा रही है सरकार को वो आंकड़े सामने लाने चाहिए. साथ केंद्र सरकार ने अब तक क्या कुछ किया है ये देश को बताना चाहिए.

चर्चा में शामिल हुए सभी सांसदों की बात सुनने के बाद केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मंडविया ने सदन के सामने अपना जवाब पेश किया केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि अगर कुछ अच्छा हुआ है तो हमारे मुख्यमंत्री ने किया लेकिन अगर कुछ ख़राब हुआ तो पीएम मोदी ने किया यह दिखाने की कोशिश की गई.

स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि इसमें कोई ग़लत बात नहीं है क्योंकि इस बीमारी से निपटने के लिए सब मिलकर ही काम कर रहे हैं. पीएम मोदी ने कहा है कि आपदा में राजनीति नहीं होनी चाहिए भले ही सामने से हो जाए सरकार की ओर से नहीं होना चाहिए. पूरे देश की जनता अगर तय करे कि तीसरी लहर नहीं आने देंगे तो कुछ रास्ता ज़रूर निकलेगा, इसलिए पीएम ने 20 बार राज्यों से बात की है.

इसके आगे उन्होंने कहा कि एक बार बात आई कि स्वास्थ्य तो राज्य का विषय है तो पीएम ने कहा कि ठीक है राज्य भी क़दम उठाएं, वैक्सीन के मामले में भी ये बात आई तो प्रधानमंत्री ने कहा ठीक है. पीएम ने हमेशा कहा कि देश बनाने में सबका योगदान है कभी नहीं कहा कि सब हमने ही किया है.

मनसुख मंडविया ने कहा की हमारे देश मे कोरोना का पहला केस 13 जनवरी 2020 को आया मोदी जी ने कहा कि पहले से हमें तैयारी करनी चाहिए. केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि वैक्सीन के मुद्दे पर हम राजनीति नहीं करना चाहते कई राज्य ऐसे हैं जिनके पास 10 लाख, 15 लाख तक वैक्सीन पड़े हैं मैं उनका नाम नहीं लेना चाहता क्योंकि नाम लेने से कोई फ़ायदा नहीं.

स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि देश में पहला लॉक डाउन इसलिए लगाया गया ताकि पीपीई कीट , टेस्ट किट और अस्पताल की तैयारी हो सके. हमने वैक्सीन दूसरे देशों को क्यों भेजा ? उसका जवाब यह है की वैक्सीन की सेल्फ लाइफ 6 महीने की होती है हम यहां भी न दें, बाहर भी न भेजें तो क्या करें?

इसी दौरान ताली और थाली बजाने को लेकर उठे सवालों का जवाब देते हुए स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि मैं मंत्री होने के साथ बेटी का बाप भी हूं, जो डॉक्टर की पढ़ाई करने के चलते इंटर्न का काम करती थी, उसने कोविड वार्ड में काम किया. उसकी मां पर क्या बीत रही थी वही जानती है. तब पता चला कि थाली और ताली बजाने का क्या मतलब होता है. ताली और थाली ऐसे लोगों का हौसला बढ़ाने के लिए था. 

वहीं मौत के आंकड़ों को लेकर उठ सवालों पर मनसुख मंड मंडविया ने कहा कि हमने किसी राज्य से नहीं कहा कि मृत्यु का आंकड़ा छिपाओ, आंकड़ा तैयार करने का काम राज्यों का होता है न कि केंद्र का. राज्यों से जो भी आंकड़ा आता है केंद्र उसे केवल जोड़ कर सार्वजनिक करता है. केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने देश में वैक्सीन की उपलब्धता के बारे में भी जानकारी सदन के सामने रखी और बताया कि जल्द ही मौजूदा उत्पादन को भी और बढ़ा दिया जाएगा जिससे कि लोगों को आसानी से वैक्सीन उपलब्घ होगी.

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