नई दिल्ली: सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट को लेकर विपक्ष भले ही सरकार पर फिजूलखर्ची का आरोप लगा रही हो लेकिन सरकार प्रोजेक्ट को लेकर गंभीर है. सूत्रों की मानें तो सरकार का मानना है कि चुनावी पिच पर पिछड़ जाने की वजह से विपक्ष सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट को राजनीतिक मुद्दा बना रही है. जबकि कोरोना का इससे कोई लेना देना नही है. कोरोना को लेकर सरकार हर संभव प्रयास कर रही है. ऐसे में पहले से प्रस्तावित और चल रहे विकास कार्यो को रोकना ठीक नहीं है.
दरअसल, सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट की मांग लंबे समय से थी. केंद्र सरकार के मंत्रालयों की जो बिल्डिंगे हैं, वो काफी पुरानी हो चुकी हैं. मौजूदा संसद भवन में भी आज के हिसाब से कई समस्याएं हो रही हैं. ऐसे में साल 2019 में मोदी सरकार वापस आने पर सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट को हरी झंडी दे दी गई. ये पूरा प्रोजेक्ट वर्ष 2026 के अंत तक पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है.
इसके तहत नई संसद, सेंट्रल विस्टा एवेन्यू, सभी 51 मंत्रालयों के लिए राजपथ के दोनों ओर 10 मल्टिस्टोरी बिल्डिंग, प्रधानमंत्री आवास और प्रधानमंत्री का दफ्तर बनाया जाना है. जिसकी शुरुआत दो कार्यों से किया जा रहा है. पहला नया संसद भवन और दूसरा सेंट्रल विस्टा एवेन्यू.
वहीं विपक्ष का आरोप है कि कोरोना काल में सरकार को अपने खजाने का उपयोग लोगों की जान बचाने के लिए किया जाना चाहिए लेकिन सरकार 20 हजार करोड़ सेंट्रल विस्टा को बनाने में लगा रही है. जबकि सरकार का इससे साफ इनकार है. सरकार के जो तर्क हैं वही उसकी वकालत करते है. सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट में जिन दो कार्यों को शुरू किया गया है, उसमें एक नई संसद और दूसरा सेंट्रल विस्टा एवेन्यू है.
नई संसद का ग्लोबल टेंडर सितंबर 2020 में ही भारत की टाटा प्रोजेक्ट लिमिटेड को 862 करोड़ रुपये में दिया जा चुका है. जिसे नवंबर 2022 तक बनकर तैयार किया जाना है. जबकि सेंट्रल विस्टा एवेन्यू जिसके तहत राजपथ के पूरे इलाके को यानी इंडिया गेट से लेकर विजय चौक तक के दोनों तरफ के गार्डन का नवीनीकरण किया जाना है. इसका ग्लोबल टेंडर पहले से ही इसी साल जनवरी में 477 करोड़ में स्पोरजी पलोमजी कंपनी को दिया जा चुका है. इसी साल नवंबर तक इस प्रोजेक्ट को पूरा करना है.
इसके पीछे तर्क यह है कि 2022 की गणतंत्र दिवस परेड से पहले सेंट्रल विस्टा एवेन्यू को पूरा किया जाना है. अगर यह प्रोजेक्ट बीच में रोक दिया गया तो गणतंत्र दिवस की परेड कर पाना मुश्किल होगा क्योंकि कोरोना की दूसरी लहर आने से पहले ही राजपथ के इलाके में खुदाई का काम शुरू हो चुका था और ऐसे में अगर काम को बीच में रोक दिया जाता है तो गणतंत्र दिवस की परेड करा पाना मुश्किल होता. इसलिए सरकार का मानना है कि कोरोना की लड़ाई में कोई ढिलाई न बरती जाए लेकिन इस प्रोजेक्ट को बीच में रोका ना जाए.
ऐसा होगा सेंट्रल विस्टा-
- राष्ट्रपति भवन के साथ ही होगा प्रधानमंत्री ऑफिस. इसके ठीक पीछे बनाया जाएगा प्रधानमंत्री आवास. प्रधानमंत्री आवास और प्रधानमंत्री ऑफिस के बीच अंदर से ही आने-जाने की व्यवस्था होगी
- नॉर्थ ब्लॉक साउथ ब्लॉक को नेशनल म्यूजियम में तब्दील किया जाएगा.
- राजपथ के दोनों तरफ 11 बहुमंजिला भवन बनेंगे, जिसमें सभी 51 मंत्रालयों के दफ्तर होंगे. सभी मंत्री भी उन्हीं भवनों में बैठेंगे.
- सभी मंत्रियों के दफ्तर और उनके फर्नीचर एक जैसे होंगे.
- सेंट्रल विस्टा एवेन्यू प्रोजेक्ट के तहत इंडिया गेट से विजय चौक तक के इलाके को अत्याधुनिक और ज्यादा स्पेशियस बनाया जाएगा.
- 2022 की गणतंत्र दिवस परेड के चलते नवंबर 2021 तक सेंट्रल विस्टा एवेन्यू का काम पूरा करना है. जबकि पूरा सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट 2026 तक पूरा होगा.
- सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट के जरिए सरकार 1000 करोड़ रुपये का सालाना रेंट बचाएगी.
- पूरे प्रोजेक्ट की लागत करीब 17 हजार करोड़ रुपये आने की उम्मीद है.
कई प्रोजेक्ट निर्माणाधीन
वहीं केंद्र सरकार का मानना है कि देश में जनहित से जुड़े करीब 18 ऐसे प्रोजेक्ट है जो इस समय निर्माणाधीन है. ऐसे में विपक्ष केवल सेंट्रल विस्टा का ही मामला उठा रहा है. दूसरे राज्यों में चल रहे हैं कार्यों को लेकर कोई चर्चा नहीं हो रही है. सरकार का तर्क है कि इस प्रोजेक्ट को सेंट्रल हाउसिंग मिनिस्ट्री के तहत बनवाया जा रहा है. हाउसिंग मिनिस्ट्री का सालाना बजट करीब ढाई लाख करोड़ रुपये का है.
जबकि इस पूरे प्रोजेक्ट की लागत करीब 17000 करोड़ रुपये आने वाली है. उसमें भी ये लागत अगले 6 वर्षों में खर्च की जानी है यानी हर साल करीब 3 हजार करोड़. उसमें भी अभी तक दो टेंडर के जरिए केवल 1339 करोड़ रुपये खर्च किए गए है जबकि कोरोना से लड़ने के लिए सरकार ने करीब 35 हजार करोड़ का सालाना बजट निर्धारित किया है, जो सेंट्रल विस्टा की कॉस्ट से लगभग दोगुना है. ऐसे में सरकार मानती है कि केवल राजनीतिक कारणों से ही यह मुद्दा उठाया जा रहा है.