ग्वालियर: मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने कहा कि केन्द्र और राज्य सरकारों को अपने पत्राचार में दलित शब्द का प्रयोग करने से बचना चाहिए क्योंकि संविधान में इस शब्द का इस्तेमाल नहीं किया गया है.
ग्वालियर के रहने वाले सामाजिक कार्यकर्ता मोहनलाल माहोर की याचिका फैसला देते हुए न्यायमूर्ति संजय यादव और न्यायमूर्ति अशोक कुमार जोशी की खंडपीठ ने कहा कि उन्हे इस बारे में कोई संदेह नहीं कि सरकारी कर्मचारी दलित शब्द का इस्तेमाल नहीं करें.
पीठ ने कहा कि इस मामले में सरकार कोई ऐसा सरकारी दस्तावेज रिकॉर्ड में नहीं ला सकी जहां कहा गया हो कि अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति शब्द की जगह दलित शब्द का प्रयोग किया जाए. इसलिए दलित शब्द का प्रयोग करने से बचना चाहिए.
पीठ ने कहा कि हमें इस बात पर कोई संदेह नहीं है कि सरकारी कर्मचारियों को अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति के सदस्यों के लिए दलित शब्द के प्रयोग से बचना चाहिए क्योंकि दलित शब्द का संविधान या किसी कानून में जिक्र नहीं मिलता है.
याचिकाकर्ता के वकील जितेंद्र शर्मा ने बताया कि अदालत ने 15 जनवरी को यह फैसला सुनाया था.