नई दिल्ली: कश्मीर में राज्यपाल शासन लगते ही अलगावादी हुर्रियत नेताओं के बुरे दिन शुरू हो गए हैं. मोदी सरकार अपनी 4D नीति के पहले 2D डिफेंड और डिस्ट्रॉय के नीति को आगे बढ़ाते हुए अब तीसरे D यानि डिफीट के तहत पाकिस्तान से फंडिंग पूरी तरह से बंद करने के लिए और कड़े कदम उठाने जा रही है. इसके पीछे सरकार की मंशा हुर्रियत नेताओं की अलगावादी सोच को युवाओं तक पहुंचने से पहले ही हराने की है.


पाकिस्तान के पैसे पर पलने वाले हुर्रियत नेताओं की फंडिंग पर नकेल कसने के लिए गृहमंत्रालय में गृह सचिव राजीव गौबा, एनआईए के डीजी वाई सी मोदी और प्रवर्तन निदेशालय के प्रमुख करनैल सिंह के साथ लंबी बैठक की. सूत्रों के मुताबिक बैठक में फैसला हुआ कि सभी जांच एजेंसियां अब हुर्रियत के बड़े नेताओं पर अपना शिकंजा कसते हुए, ना सिर्फ उनसे पूछताछ करेगी बल्कि पुख्ता सबूतों के आधार पर प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट और विदेशी मुद्रा क़ानून के उल्लंघन के तहत मुकदमा चला कर हुर्रियत नेताओं को जेल की हवा खिलाने की तैयारी कर रही है.


सूत्रों के मुताबिक़ एनआईए और ED तक़रीबन 12 मामलों की जांच पहले ही कर रही है. आतंकी फंडिंग के मामले में इस साल 18 जनवरी को दायर अपने पहले चार्जशीट में एनआईए ने कश्मीर में जेहाद के नाम पर आतंक की फसल बोने के लिए आतंक फंडिग के मामले में NIA ने चार्जशीट दाखिल कर दी है. 12 हजार 794 पन्नों की इस चार्जशीट में अमन के अड़गेबाजों के नामों का खुलासा है.


इस चार्जशीट में आरोपी नंबर 1 पर मुंबई हमलों का मास्टरमाइंड हाफिज सईद है. आरोपी नंबर 2 पर हिज्बुल मुजाहिद्दीन का चीफ सैयद सलाहुद्दीन हैं. तीसरे नंबर पर हुर्रियत कांफ्रेंस के मीडिया विंग का प्रमुख आफताब अहमद शाह है. चौथे नंबर पर हुर्रियत प्रमुख सैयद अली शाह गिलानी के दामाद अल्ताफ अहमद शाह उर्फ फंटूश का नाम है. लेकिन पाकिस्तान से एनआईए की चार्जशीट में हुर्रियत प्रमुख सैयद अली शाह गिलानी और उसके बेटों के नाम नहीं था और ना ही यासीन मल्लिक और मीरवाइज उमर फारूक पर फंदा कसा था.


एनआईए सूत्रों के मुताबिक उस वक़्त राज्य सरकार हुर्रियत के बड़े नेताओं पर कार्रवाई का विरोध कानून व्यवस्था बिगड़ने के हवाला देकर कर रही थी. लेकिन हुर्रियत प्रमुख सैयद अली शाह गिलानी और उसके बेटों को क्लीन चिट नहीं दी गई है. हुर्रियत नेताओं के खिलाफ जारी है और अब कार्रवाई का वक़्त आ गया है.


हालांकि NIA की इस चार्जशीट में खुलासा हुआ था कि कश्मीर घाटी में ड्राई फ्रूट के बड़े कारोबारी ज़हूर वताली और उसके मैनेजर को भी आरोपी बनाया गया है. एनआईए के मुताबिक़ टेरर फंडिंग के लिए हवाला के जरिए खाड़ी देशों के रास्ते पैसा आता था. हवाला ऑपरेटर पैसे को अलगाववादी, आतंकी तक पहुंचाते थे, जहां से पैसे पत्थरबाजों तक पहुंचते थे. इस खेल में क्रॉस एलओसी ट्रेड में जुटे कारोबारी भी शामिल हैं


जहूर वताली जैसे कारोबारी पीओके भेजे जाने वाले सामान की ओवर इनवॉयसिंग और आने वाले सामान की अंडर इनवॉयसिंग कर बड़ा मुनाफ़ा कमाते थे. इस काम के लिए आईएसआई ने बाकायदा पीओके में डेस्क बना रखा था, डेस्क कारोबारी मुनाफे का बड़ा हिस्सा हुर्रियत तक पहुंचाते थे..


क्या है 4D नीति?
4D नीति में पहला D है डिफेंड यानि सुरक्षा बलों के कैम्प, सरकारी प्रतिष्ठानों की पुख्ता सुरक्षा इन्तज़ाम करना. दूसरा D है डिस्ट्रॉय यानि सुरक्षा बल आतंकियों और उनके ठीकानों और गोला बारूद को बर्बाद करना. तीसरा D है डिफीट यानि सुरक्षा एजेंसियां अलगावादी विचारधारा को पनपने से रोकते हुए देशविरोधी ताक़तों को नेस्तनाबूद करने का काम करेंगी. चौथा D होगा डीनाई, यानि युवाओं को पत्थरबाज़ी और आतंकी गुट में शामिल होने से रोकना. और इसके लिए सरकार बेरोज़गार युवाओं के रोज़गार के लिए चलाएगी अभियान."