पूर्वी लद्दाख में एलएसी पर चीन के साथ तनावपूर्ण स्थिति बनी हुई है. चीन के एलएसी पार करने की हर कोशिशों को मुंहतोड़ जवाब सेना के जवानों की तरफ से दिया जा रहा है. इधर, सरकार ने बुधवार को लोकसभा में कहा कि चीन की सेना ने पिछले साल मई से वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर उल्लंघन का प्रयास किया लेकिन भारत की ओर से इनका उचित जवाब दिया गया.


विदेश राज्य मंत्री वी मुरलीधरन ने लोकसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में कहा कि इस तरह के उल्लंघन के प्रयासों से उत्पन्न मुद्दों को सुलझाने के लिए दोनों पक्ष स्थापित सैन्य और राजनयिक चैनलों के माध्यम से चर्चा में लगे हुए हैं.


उन्होंने कहा कि दोनों पक्षों ने वरिष्ठ कमांडर स्तर की नौ दौर की वार्ता की है और भारत-चीन सीमा मामलों पर परामर्श और समन्वय के लिए कार्य तंत्र (डब्ल्यूएमसीसी) की छह बैठकें भी आयोजित की गई हैं.


मुरलीधरन ने कहा, ‘‘पिछले साल अप्रैल-मई से चीनी पक्ष ने पश्चिमी क्षेत्र में सीमावर्ती इलाकों और एलएसी के निकट सेना की तैनाती तथा आयुधों को बढ़ा दिया था.’’ उन्होंने कहा, ‘‘मई के मध्य से चीनी पक्ष ने भारत-चीन सीमा क्षेत्र के पश्चिमी क्षेत्र के कई इलाकों में एलएसी का उल्लंघन करने का प्रयास किया. इन प्रयासों का हमारी ओर से उचित जवाब दिया गया.’’


इससे पहले विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने कहा था कि भारत और चीन का संबंध दोराहे पर खड़ा है. उन्होंने चीन के साथ सीमा गतिरोध पर कहा था कि पूर्वी लद्दाख में पिछले वर्ष हुई घटनाओं ने दोनों देशों के संबंधों को गंभीर रूप से प्रभावित किया है और संबंधों को आगे तभी बढ़ाया जा सकता है जब वे आपसी सम्मान, संवेदनशीलता, साझा हित जैसी परिपक्वता पर आधारित हों. जयशंकर ने कहा कि भारत और चीन के संबंध दोराहे पर हैं और इस समय चुने गए विकल्पों का न केवल दोनों देशों बल्कि पूरी दुनिया पर प्रभाव पड़ेगा.


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