नई दिल्ली: केंद्रीय कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने बृहस्पतिवार को बताया कि देश में 1023 फास्ट ट्रैक अदालतें स्थापित करने का राज्यों को प्रस्ताव भेजा गया है. उन्होंने कहा कि इन अदालतों में बलात्कार, महिलाओं के विरुद्ध हिंसा और बच्चों के यौन उत्पीड़न को रोकने संबंधी कानून पॉक्सो के मामलों की त्वरित सुनवाई होगी. केंद्रीय मंत्री ने कहा कि सरकार के इस प्रस्ताव को 16 राज्यों ने स्वीकार कर लिया है.
रविशंकर प्रसाद ने राज्यसभा में प्रश्नकाल के दौरान एक सवाल के जवाब में कहा कि महिलाओं के खिलाफ हिंसा के मामलों का शीघ्र निस्तारण सरकार के लिये प्राथमिकता है. उन्होंने कहा कि गंभीर आपराधिक मामलों के निस्तारण के लिये देश में 704 फास्ट ट्रैक अदालतें स्थापित हो गयी हैं और ये कार्यरत भी हैं.
इसके अलावा बलात्कार सहित महिला हिंसा से जुड़े अन्य मामलों और पॉक्सो के मामलों के लिये 1023 फास्ट ट्रैक अदालतें बनाने के प्रस्ताव को 16 राज्यों ने स्वीकृति प्रदान की है और 420 अदालतों की स्थापना की जा रही है. उन्होंने बताया कि इनमें से 161 अदालतें काम कर रही हैं.
संसद के बाहर लगे 'रेप से आजादी' के नारे, पिता ने बेटी को गोद में लेकर किया प्रदर्शन
राज्यसभा में इस दौरान केंद्रीय मंत्री से पूछा गया कि जनप्रतिनिधियों के खिलाफ लंबित आपराधिक मामलों के निपटारे के लिए देश भर में गठित विशेष अदालतों में यूपी जैसे बड़े राज्य में मात्र एक विशेष अदालत नाकाफी हैं. इस प्रश्न के जवाब में रविशंकर प्रसाद ने कहा कि उन्होंने इस बारे में इलाहाबाद हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश को पत्र लिखकर इस चिंता से अवगत करा दिया है.
महिला सुरक्षा सर्वे: 70% ने कहा- रेप की सजा फांसी हो, 83% ने माना बढ़े हैं महिलाओं के खिलाफ अपराध
केंद्रीय कानून मंत्री ने बताया कि हाईकोर्ट ने स्पेशल कोर्ट्स के गठन की दिशा में सकारात्मक पहल की है. आपराधिक मामलों के निस्तारण से जुड़े एक पूरक प्रश्न के उत्तर में केंद्रीय मंत्री ने बताया कि 2015 से इस साल तीन दिसंबर तक 1.17 करोड़ मामले निपटा दिये गये.
यह भी पढ़ें-
अमित शाह और नरेंद्र मोदी अपनी ही कल्पनाओं में जीते हैं :राहुल गांधी