नई दिल्ली: जानलेवा कोरोना वायरस के चलते दुनियाभर में चल रहे लॉकडाउन और अन्य प्रतिबंधों ने भारत जैसे देशों की अर्थव्यवस्था के सामने एक बड़ी चुनौती खड़ी कर दी है. सबसे बड़ा सवाल लोगों के रोज़गार से जुड़ा है.


10 करोड़ नौकरियों पर है ख़तरा


सोमवार को वाणिज्य मंत्रालय से जुड़ी संसदीय स्थायी समिति की बैठक में शामिल हुए सरकार के प्रतिनिधि ने कोरोना काल के दौरान देश में रोज़गार के हालात पर एक प्रेजेंटेशन दिया. प्रेजेंटेशन में सरकारी अधिकारी ने बेहद चिंताजनक आंकड़ा दिया. सूत्रों के मुताबिक़ उन्होंने अपने प्रेजेंटेशन में बताया कि कोरोना और लॉकडाउन के चलते भारत में तक़रीबन 10 करोड़ नौकरियों पर ख़तरा पैदा हो गया है. हालांकि उन्होंने ये साफ़ नहीं किया कि ये आंकड़ा आख़िर कब तक का है और इसमें कौन-कौन से सेक्टर ज़्यादा प्रभावित हो रहे हैं.


समिति की बैठक का एजेंडा कोरोना के बाद के समय में निवेश के मामले में भारत के सामने चुनौतियां और अवसरों पर चर्चा करना था. बैठक में औद्योगिक और आंतरिक व्यापार संवर्धन विभाग के अधिकारी ने समिति के सदस्यों को अर्थव्यवस्था पर पड़ रहे कोरोना के असर के बारे में बताया. प्रजेंटेशन में बताया गया कि चूंकि भारत कौशल और दक्ष श्रम शक्ति का एक बड़ा निर्यातक देश है लिहाज़ा दुनिया भर में आर्थिक शिथिलता का असर भी यहां पड़ना तय है. देश के लोग बाहर जाकर काम करते हैं लेकिन कोरोना में इसकी कड़ी टूट गई है. इसका नतीज़ा ये होगा कि भारत को प्रेषण ( Remittance) के तौर पर भेजे जाने वाले पैसों में कमी आएगी.


बैठक में सरकार की ओर से बताया गया कि भारत की अर्थव्यवस्था काफ़ी हद तक अमेरिका, यूरोप और चीन से होने वाले निवेश और व्यापार पर निर्भर करती है. कोरोना के चलते इन देशों से व्यापार और निवेश में अलग अलग कारणों से कमी आने की आशंका है. सरकार ने बताया कि सरकार की कोशिश अब मेडिकल उपकरणों समेत अन्य महत्वपूर्ण सामानों के आयात की निर्भरता कम करने की है.


वी विजयसाई रेड्डी ने बैठक की अध्यक्षता की


सरकारी प्रतिनिधि ने विशेष तौर पर ये कहा कि चीन ने अपने यहां सामानों का स्टॉक ( Inventory) जमा कर लिया है और उसकी कोशिश इन सामानों को निर्यात करने की है. इसके लिए चीन अपने निर्यातकों को सब्सिडी देने का भी फ़ैसला कर सकता है और भारत इसे लेकर काफ़ी सतर्क है. समिति के अध्यक्ष और वाईएसआर कांग्रेस के सांसद वी विजयसाई रेड्डी ने बैठक की अध्यक्षता की.