नई दिल्ली: ये बात जगज़ाहिर है कि कोरोना महामारी के चलते भारत और दुनियाभर में लगाए गए लॉकडाउन से वैश्विक और भारत की अर्थव्यवस्था पटरी से उतरती दिख रही है. भारत भी इससे अछूता नहीं है. कोरोना ने भारत में पर्यटन सेक्टर को तगड़ा झटका दिया है.


पर्यटन मंत्रालय ने औद्योगिक संगठन सीआईआई के आंकड़ों का हवाला देते हुए स्वीकार किया है कि कोरोना महामारी ने भारत में पर्यटन सेक्टर की जड़ें हिला कर रख दी हैं. इन आंकड़ों के मुताबिक़ कोरोना के चलते इस सेक्टर में कम से कम दो करोड़ और अधिकतम साढ़े पांच करोड़ नौकरियां जाने की आशंका जताई गई है. आपको बता दें कि पर्यटन मंत्रालय के 2018-19 के आंकड़ों के मुताबिक़ भारत के कुल रोज़गार में पर्यटन क्षेत्र का हिस्सा 12.75 फ़ीसदी है. इस सेक्टर में प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष तौर पर 2018-19 के दौरान 8.75 करोड़ लोगों को रोज़गार मिला हुआ था. पर्यटन क्षेत्र का बड़ा हिस्सा असंगठित क्षेत्र में आता है जिसमें 70 फ़ीसदी हिस्सा छोटे और सूक्ष्म इकाइयों का है.


2018-19 में पर्यटन सेक्टर का कुल राजस्व 2,43,878 करोड़ रुपए था


सोमवार को परिवहन, पर्यटन और संस्कृति मंत्रालय से जुड़ी संसद की स्थायी समिति की बैठक हुई जिसमें पर्यटन मंत्रालय के अधिकारियों ने सदस्यों के सामने एक प्रजेंटेशन दिया. इस प्रजेंटेशन के मुताबिक़ 2018-19 में पर्यटन सेक्टर का कुल राजस्व 2,43,878 करोड़ रुपए था. कोरोना के चलते इस साल ( 2020 ) इस राजस्व में कम से कम 72,611 करोड़ रुपए जबकि अधिकतम 1,58,953 करोड़ रुपए के घाटे का अनुमान लगाया गया है. इसमें सबसे ज़्यादा नुकसान ब्रांडेड होटलों को होने वाले राजस्व में होने की आशंका है. ब्रांडेड होटलों में पचास हज़ार करोड़ से एक लाख करोड़ रुपए तक के घाटे की आशंका जताई गई है. इसके अलावा ऑनलाइन ट्रेवल एजेंसी, टूर ऑपरेटर और एडवेंचर टूर ऑपरेटर जैसी इकाइयों में भी काफ़ी घाटा होने का अनुमान है.


संसदीय समिति को दिए गए प्रजेंटेशन के मुताबिक़ कई ऐसे पहलू हैं जिन्होंने पर्यटन सेक्टर को नुकसान पहुंचाया है. इनमें सबसे अहम है एयरलाइन और रेलवे सेवाओं का स्थगित होना. इसके चलते घरेलू और अंतर्राष्ट्रीय यात्राएं स्थगित करनी पड़ीं जिसका असर होटल बुकिंग और टूर पैकेज के रद्द होने में दिखा. इसके अलावा ऐतिहासिक इमारतों, सिनेमा हॉल, मॉल और रेस्तरां के बन्द होने का भी असर पर्यटन सेक्टर पर पड़ा. ऐतिहासिक इमारतों के बन्द होने से वहां काम करने वाले टूर गाइड और इमारत के आसपास चलने वाले छोटे बड़े रेस्तरां और कलाकृतियां बेचने वाले लोग बुरी तरह प्रभावित हुए और उनका रोज़गार छिन गया.


अभी भविष्य अनिश्चितताओं से भरा है


प्रजेंटेशन में पर्यटन सेक्टर को पुनर्जीवित करने करने के लिए किए गए उपायों की तो जानकारी दी गई लेकिन ये भी कहा गया है कि अभी भविष्य अनिश्चितताओं से भरा है. संयुक्त राष्ट्र के तहत काम करने वाली संस्था विश्व पर्यटन संगठन का अनुमान है कि अंतर्राष्ट्रीय पर्यटकों की आवाजाही कोरोना पूर्व काल के स्तर तक पहुंचने में 2009 के वैश्विक आर्थिक संकट से ज़्यादा का समय लग सकता है. उस वक़्त आवाजाही सामान्य होने में 19 महीने लगे थे. कोरोना के दौरान अंतर्राष्ट्रीय पर्यटकों की आवाजाही में 58 फ़ीसदी से 78 फ़ीसदी की कमी आने की आशंका है.


पर्यटन क्षेत्र का भारत की अर्थव्यवस्था में महत्व इस बात से समझा जा सकता है कि देश की जीडीपी में इस क्षेत्र का कुल योगदान 2017-18 में 5.07 फ़ीसदी दर्ज़ किया गया था. इस वर्ष पर्यटन सेक्टर से देश को 2.11 लाख करोड़ रुपए की विदेशी मुद्रा हासिल हुई थी.


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