'तानाशाही लाना चाहती है सरकार', कपिल सिब्बल ने भारतीय न्याय संहिता विधेयक को बताया असंवैधानिक
Kapil Sibal Remarks: कपिल सिब्बल ने आरोप लगाया है कि सरकार औपनिवेशिक काल के कानूनों को खत्म करने की बात करती है, लेकिन उसकी सोच यह है कि वह ऐसे कानूनों के जरिए 'तानाशाही' थोपना चाहती है.
Kapil Sibal Slams BNS Bill: पूर्व कानून मंत्री कपिल सिब्बल ने भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) विधेयक को 'असंवैधानिक' करार देते हुए रविवार (13 अगस्त) को आरोप लगाया कि सरकार औपनिवेशिक युग के कानूनों को खत्म करने की बात करती है, लेकिन उसकी सोच यह है कि वह ऐसे कानूनों के माध्यम से 'तानाशाही लाना' चाहती है.
राज्यसभा सदस्य सिब्बल ने सरकार से भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) 1860, दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) 1898 और भारतीय साक्ष्य अधिनियम 1872 को बदलने के लिए लाए गए तीन विधेयकों को वापस लेने का आह्वान किया. उन्होंने आरोप लगाया कि यदि ऐसे कानून वास्तविकता बन जाते हैं तो वे देश का भविष्य खतरे में डालेंगे.
कपिल सिब्बल ने लगाया तानाशाही लाने का आरोप
सिब्बल ने एक संवाददाता सम्मेलन में कहा, ‘‘राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) सरकार औपनिवेशिक युग के कानूनों को खत्म करने की बात करती है, लेकिन उसकी सोच यह है कि वह कानूनों के माध्यम से देश में तानाशाही लाना चाहती है. वह ऐसे कानून बनाना चाहती है, जिनके तहत सुप्रीम कोर्ट और उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों, मजिस्ट्रेट, लोक सेवकों, कैग (नियंत्रक और महालेखा परीक्षक) और अन्य सरकारी अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की जा सके.’’ पूर्व केंद्रीय मंत्री ने कहा, ''मैं न्यायाधीशों से सतर्क रहने का अनुरोध करना चाहता हूं. अगर ऐसे कानून पारित किए गए तो देश का भविष्य खतरे में पड़ जाएगा.''
बीएनएस बिल को बताया खतरनाक
बीएनएस विधेयक का जिक्र करते हुए सिब्बल ने दावा किया कि यह 'खतरनाक' है और अगर पारित हो जाता है तो सभी संस्थानों पर केवल सरकार का हुक्म चलेगा. उन्होंने आरोप लगाया, ‘‘मैं आपसे (सरकार से) इन्हें (विधेयकों को) वापस लेने का अनुरोध करता हूं. हम देश का दौरा करेंगे और लोगों को बताएंगे कि आप किस तरह का लोकतंत्र चाहते हैं- जो कानूनों के माध्यम से लोगों का गला घोंट दे और उनका मुंह बंद कर दे.’’
कांग्रेस के पूर्व नेता सिब्बल ने कहा कि ये विधेयक पूरी तरह से न्यायपालिका की स्वतंत्रता के विपरीत हैं. उन्होंने सरकार की आलोचना करते हुए कहा, ‘‘ये विधेयक पूरी तरह से असंवैधानिक हैं और न्यायपालिका की स्वतंत्रता की जड़ पर प्रहार करते हैं. उनकी सोच स्पष्ट है कि वे इस देश में लोकतंत्र नहीं चाहते.’’
सिब्बल केंद्र में संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) की पहली और दूसरी सरकार के दौरान केंद्रीय मंत्री थे. उन्होंने पिछले साल मई में कांग्रेस छोड़ दी थी और समाजवादी पार्टी (सपा) के समर्थन से एक निर्दलीय सदस्य के रूप में राज्यसभा के लिए चुने गए थे. सिब्बल ने अन्याय से लड़ने के उद्देश्य से एक गैर-चुनावी मंच 'इंसाफ' बनाया है.
गृह मंत्री अमित शाह ने लोकसभा में पेश किए थे बिल
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने शुक्रवार को लोकसभा में भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) विधेयक 2023, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (बीएनएसएस) विधेयक 2023 और भारतीय साक्ष्य (बीएस) विधेयक 2023 पेश किए थे. ये विधेयक क्रमश: भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) 1860, दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) 1898 और भारतीय साक्ष्य अधिनियम 1872 की जगह लेंगे.
मंत्री ने लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला से तीनों विधेयकों को पड़ताल के लिए गृह मामलों की संसदीय स्थायी समिति को भेजने का आग्रह भी किया था. अन्य बातों के अलावा, तीनों विधेयकों में राजद्रोह कानून को निरस्त करने और अपराध की व्यापक परिभाषा के साथ एक नया प्रावधान पेश करने का प्रस्ताव है.
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