नई दिल्लीः किसान एवं मजदूर संगठनों की वाम समर्थित रैली में बुधवार को पारित प्रस्ताव में केन्द्र सरकार को चेतावनी दी गई है कि अगर सरकार ने अपनी गलत नीतियां नहीं बदली तो सरकार बदल दी जाएगी. वाम दलों के मजदूर संगठन सीटू (सेंटर ऑफ इंडियन ट्रेड यूनियन) और अखिल भारतीय किसान सभा ने मिलकर इस किसान मजदूर संघर्ष रैली का आयोजन किया था.


संसद मार्ग पर आयोजित सभा को संबोधित करते हुये सीटू के जनरल सेक्रेटरी तपन सेन ने कहा कि समाज के सभी वर्गों में लगातार बढ़ते आक्रोश की वजह से ही इस रैली में लाखों लोग दिल्ली पहुंचे हैं. उन्होंने कहा कि किसानों, मजदूरों और कामगारों ने संकल्प लिया है कि अगर सरकार ने गलत नीतियां नहीं बदलीं तो वे सरकार बदल देंगे.


रैली में अलग-अलग राज्यों से किसान और मजदूर आए थे. रैली को संबोधित करते हुए किसान सभा के महासचिव हनन मोल्ला ने कहा कि सरकार की गलत नीतियों से किसान और कामगार बुरी तरह प्रभावित हो रहे हैं.


किसान और कामगार संगठनों ने जारी किया मांग पत्र 


किसान और कामगार संगठनों ने एक मांग पत्र जारी किया है. इसमें कहा गया है कि रोजमर्रा की वस्तुओं की बेलगाम कीमतों, खाद्य वितरण प्रणाली की ध्वस्त होती व्यवस्था और रोजगार के सिमटते दायरे से किसान, मजदूर और युवाओं का जीवन अंधकारमय हो गया है.


मांग पत्र में मंहगाई पर नियंत्रण करने, खाद्य वितरण प्रणाली को सुचारु बनाने, युवाओं को रोजगार के उचित अवसर दिलाने, मजदूरों के लिए 18 हजार रुपये मासिक न्यूनतम पारिश्रमिक सुनिश्चित करने, श्रम कानूनों में मजदूर विरोधी बदलाव नहीं करने, किसानों के लिए स्वामीनाथन कमेटी की सिफारिशें लागू करने और खेतिहर मजदूरों और किसानों का कर्ज माफ करने की मांग की गई है.


रैली में टेलीकॉम, रेल, डाक और ट्रांसपोर्ट सहित दूसरे महकमों के कर्मचारी संगठनों, किसान संगठन और श्रमिक संगठनों के प्रतिनिधि रामलीला मैदान में इकट्ठे हुये. इसके बाद हनन मोल्ला और तपन सेन सहित दूसरे संगठनों के नेताओं की अगुवाई में इन लोगों ने रामलीला मैदान से संसद मार्ग तक पैदल मार्च किया.


रैली में सीपीआई(एम) नेता सीताराम येचुरी, प्रकाश करात, वृंदा करात, नीलोत्पल बसु और सुभाषिनी अली के अलावा सीपीआई के डी राजा सहित अन्य नेताओं ने भी शिरकत की. रैली का स्वरूप गैर-राजनीतिक होने के कारण इसमें हिस्सा लेने वाले राजनेताओं ने मंच के बजाय जनता के बीच अपनी मौजूदगी दर्ज कराई.


बाद में येचुरी ने कहा कि मोदी सरकार के चुनावी वादे चार साल का कार्यकाल पूरा होने के बाद अब तक अधूरे हैं. उन्होंने कहा ''अच्छे दिन तभी आयेंगे जब मोदी सरकार जायेगी. 2019 के लोकसभा चुनाव में इस सरकार को गिराना ही एकमात्र समाधान है.'' येचुरी ने बताया कि वामदल अगले हफ्ते से देशव्यापी संयुक्त आंदोलन शुरु करेंगे. इसकी रूपरेखा जल्द घोषित की जायेगी.