नई दिल्लीः सरकार एयर इंडिया का मालिकाना हक अपने पास ही रख सकती है. हालांकि इस बारे फैसला वित्त मंत्री अरुण जेटली की अध्यक्षता में प्रस्तावित समिति के सुझावों के आधार पर कैबिनेट करेगी. कैबिनेट ने एयर इंडिया में विनिवेश को सैद्धांतिक तौर पर मंजूरी दी है. साथ ही विनिवेश के तौर-तरीके तय करने के लिए वित्त मंत्री अरुण जेटली की अध्यक्षता में एक समूह बनाने का भी फैसला किया है.


 सरकार के उच्च पदस्थ सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक, एयर इंडिया में शायद 50 फीसदी से ज्यादा हिस्सेदारी निजी हाथों में सौंपे जाने पर फैसला नहीं होगा. यदि ऐसा हुआ तो  सरकारी विमानन कंपनी का मालिकाना हक सरकार अपने पास ही रखेगी. ये भी संकेत मिल रहे है कि किसी भी विदेशी निवेशक को हिस्सेदारी नहीं बेची जाएगी. सूत्रों का कहना है कि कंपनी के साथ एक भावनात्मक लगाव होने की वजह से हिस्सेदार भारतीय कंपनी या संस्था को बेचा जा सकता है.


गौरतलब है कि एयर इंडिया से सरकार के निकलने की चर्चा काफी समय से गरमायी है और इसे तब बल मिला जब वित्त मंत्री अरुण जेटली ने बयान दिया कि महज 14 फीसदी बाजार हिस्सेदारी के लिए 55000 करोड़ रुपये खर्च करने का कोई औचित्य नहीं बनता. जेटली का ये बयान ऐसे समय में आय़ा जब नीति आयोग ने भी  एयर इंडिया के विनिवेश के बारे में सिफाऱिश की।


सूत्रों के मुताबिक एय़र इंडिया को 608 करोड़ रुपये का घाटा हुआ. इस समय कंपनी पर करीब 52 हजार करोड़ रुपये का कर्ज है, जबकि26 हजार करोड़ रुपये की संपत्ति है. इसीलिए विचार किया जा रहा है कि कंपनी के कर्ज के बड़े हिस्से को बट्टे खाते में डाल दिया जाए. कंपनी के बेड़े में 118 विमान है जबकि बाजार हिस्सेदारी महज 13 फीसदी है. दूसरी ओर 135 विमानों के साथ बाजार की सबसे बड़ी कंपनी इडिंगो के पास 41 फीसदी से भी ज्यादा हिस्सेदारी है.


कैबिनेट का फैसला


इस बीच, बुधवार को हुई कैबिनेट की बैठक में


-    एयर इंडिया और उसकी पांच सब्सिडियरी की रणनीतिक बिक्री पर विचार करने की प्रक्रिया को सैद्धांतिक तौर पर मंजूरी दी गयी.


-    वित्त मंत्री की अध्यक्षता में एक समिति बनेगी जिसमें विमानन मंत्री और दूसरे मंत्री शामिल होंगे. ये समिति विनिवेश की प्रक्रिया के बारे में सुझाव देगी.


 इन मुद्दों पर विचार करेगी




  •     कैसे निबटे कर्ज से

  •    कुछ परिसंपत्तियों को एक नयी कंपनी के हवाले करना

  •     मुनाफे में चल रही तीन कंपनियो को एयर इडिया से अलग कर उन्हे बेचना

  •    कितनी हिस्सेदारी बिकेगी

  •     कौन-कौन हिस्सेदारी खऱीद सकते है