बंगाल: राज्य में राजनीतिक हालातों और कानून व्यवस्था को लेकर पश्चिम बंगाल के गवर्नर जगदीप धनखड़ ने ममता सरकार पर हमला बोला है. उन्होंने कहा कि राज्य में राजनीतिक हालातों से हर कोई वाकिफ है साथ ही कानून सरकार के इशारों पर चलते दिख रही है. उन्होंने कहा कि राज्य में लोकतंत्र और संविधान की अनदेखी की जा रही है. ऐसे हालात बन गए है कि आतंकियों के खिलाफ कार्रवाई नहीं होती.


गवर्नर ने एबीपी न्यूज से बात करते हुए कहा कि राज्य की हालत किसी से छिपी नहीं है. राज्य का वातावरण चिंताजनक है. राजनीतिक हिंसा हत्याओं में परिवर्तित हो गई है. कोई ऐसा दिन हो नहीं है जब बर्बरता की कहानी सामने ना आयी हो.


राज्य मानवाधिकार आयोग आईसीयू और वेंटिलेटर पर है


राज्य अवैध बम बनाने की फैक्ट्री बन गया है जहां पर कोई लाइसेंस की जरूरत नहीं है. जिस क्लब को पैसा दिया जाता है उसकी छत उड़ जाती है. घटनाओं में बमों का उपयोग होता है. लेकिन राज्य के इंटेलिजेंस को कोई जानकारी ही नहीं है. जो सरकारी अधिकारी हैं वो वह हाथी है जो सिर्फ राजनीतिक कार्य करने में मगन है ऐसे में राज्यपाल के लिए बड़ी परेशानी है.


मीडिया राज्यपाल से कुछ भी पूछ सकता है लेकिन ममता बनर्जी से वैसे सवाल नहीं पूछे जाते हैं. राज्यपाल ने जो जानकारी अधिकारियों से जुटाई उसको होम डिपार्टमेंट गलत बताता है. सरकार पुलिस के सहारे चल रही है सरकार की ताकत की पुलिस प्रशासन है क्योंकि पुलिस के वरिष्ठ अधिकारी और राजनीतिक कार्यकर्ता से भी ज्यादा राजनीति कार्यकर्ता बन गए हैं. वह यह भूल गए हैं कि वह पब्लिक सर्वेंट है. ऐसे अधिकारियों को अंदाजा नहीं है कि वह किस आग की लपेट में आ सकते हैं.


पश्चिम बंगाल के हालात बहुत भयावह हैं


यह जो हालात है यह बनाना रिपब्लिक जैसे हैं. पश्चिम बंगाल के हालात बहुत भयावह हैं मानवाधिकार का हनन हो रहा है. आम आदमी के मन में डर बैठा हुआ है ऐसे में आम आदमी का डर यह भी है कि निष्पक्ष चुनाव कैसे होगा. सत्ता पक्ष को छोड़कर सभी राजनीतिक दल यही मांग कर रहे हैं कि निष्पक्ष चुनाव ही प्रशासन को बचा सकते हैं. वहीं सत्ता पक्ष अभी से तानाबाना बुन रही है कि चुनाव निष्पक्ष ना हो. उन्होंने कहा कि, 'ये मेरा वादा है कि पश्चिम बंगाल में चुनाव निष्पक्ष होंगे. कोई अधिकारी अगर इस मुगालते में है कि वह इतना दूराचरण कर लेगा कि वो राजनैतिक कार्यकर्ता की तरह काम करेंगे अब यह नहीं चलेगा.'


चुनाव हर हालत में होंगे मतलब हर हालत में निष्पक्ष होंगे. सारे विकल्प खुले हुए हैं क्योंकि अगर निष्पक्ष चुनाव नहीं हुए तो लोगों का लोकतंत्र में विश्वास नहीं रहेगा. मैं बार-बार जो कह रहा हूं उसको गंभीरता से लीजिए (अधिकारी) जो लोग गंभीरता से नहीं ले रहा है उनको गंभीर परिणाम भुगतने होंगे.


चुनाव में 6 महीने नहीं है 6 महीने से कम है यह में साफ तौर पर कह रहा हूं- जगदीप धनखड़


ऐसी रिपोर्ट भी आ रही है कि अधिकारी राजनैतिक नेताओं को जघन्य अपराधों में लिप्त करने की साजिश में लगे हैं. फर्जी मुकदमे करने में लगे हैं. इस बारे में ममता बनर्जी को चिट्ठी भी लिखी है.


विपक्ष के नेताओं को निशाना बनाया जा रहा है- गवर्नर


राज्यपाल के आगाह करने के बावजूद एक कार्यकर्ता की हत्या कर दी जाती है. 16 दिनों से एक पोस्टमार्टम नहीं हो पाया. किसको बचाया जा रहा है हाईकोर्ट के कहने के बावजूद पोस्टमार्टम नहीं हो रहा. लोकतंत्र राज्य में शर्मसार है लोकतंत्र की पहचान नदारद है. हर कोई आतंकित है, परेशान है, पीड़ित है. उम्मीद करता हूं कि सरकार जागेगी संविधान के दायरे में काम करेगी. जो बर्ताव का तांडव नृत्य हो रहा है उसको तुरंत बंद किया जाए राजनीतिक प्रतिशोध की आग को बुझाया जाए.


अगर हालत नहीं सुधरे तो मैं इतना कह सकता हूं कि भारत के संविधान में बहुत ताकत है और वह ताकत आम आदमी ने दी है.


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