Farmers Protest: मेघालय के राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने रविवार को यह घोषणा करते हुए कि वह किसानों के आंदोलन का समर्थन करने के लिए अपने पद से हटने को तैयार हैं. उन्होंने कहा कि दिल्ली में नेता ‘कुत्ते के मरने पर भी’ शोक व्यक्त करते हैं, लेकिन किसानों की मौतों की उन्हें कोई परवाह नहीं. मलिक ने सेंट्रल विस्टा पुनर्विकास योजना की भी आलोचना यह कहते हुए कि एक नए संसद भवन के बजाय एक विश्व स्तरीय कॉलेज बनाना बेहतर होगा.
मलिक मोदी के कार्यकाल के दौरान जम्मू-कश्मीर, गोवा और मेघालय के राज्यपाल बने हैं. जयपुर में ग्लोबल जाट समिट को संबोधित करते हुए मलिक ने कहा कि उन्हें किसानों के मुद्दे पर दिल्ली के नेताओं को निशाना बनाने पर राज्यपाल का अपना पद खोने का डर नहीं है .. “राज्यपाल को हटाया नहीं जा सकता लेकिन कुछ मेरे शुभचिंतक हैं जो इस तलाश में रहते है कि यह कुछ बोले और इसे हटाया जाए. दिल्ली में ‘दो या तीन’ नेताओं ने उन्हें राज्यपाल बनाया. जिस दिन वे कहेंगे कि उन्हें समस्या है और मुझे पद छोड़ने के लिए कहेंगे, मैं एक मिनट भी नहीं लूंगा."
“पहले ऐसा कोई आंदोलन नहीं हुआ है जिसमें 600 लोग मारे गए”
मलिक ने कहा, “मैं जन्म से राज्यपाल नहीं हूं. मेरे पास जो कुछ है उसे खोने के लिए मैं हमेशा तैयार हूं लेकिन मैं अपनी प्रतिबद्धता नहीं छोड़ सकता. मैं पद छोड़ सकता हूं लेकिन किसानों को पीड़ित और हारते हुए नहीं देख सकता. देश में पहले ऐसा कोई आंदोलन नहीं हुआ है जिसमें 600 लोग मारे गए हों.” उनका इशारा केंद्र के कृषि कानूनों के खिलाफ महीनों से दिल्ली की सीमाओं पर प्रदर्शन कर रहे प्रदर्शनकारी किसानों की मौत से था.
राज्यपाल ने कहा, “एक कुत्ता भी मरता है तो दिल्ली के नेताओं का शोक संदेश आता है लेकिन 600 किसानों का शोक संदेश का प्रस्ताव लोकसभा में पास नहीं हुआ.’’ उन्होंने 1984 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की उनके सिख अंगरक्षकों द्वारा हत्या का भी जिक्र किया और कहा कि उन्होंने मोदी से सिखों और जाटों से दुश्मनी मोल नहीं लेने के लिए कहा था - वे समुदाय जो प्रदर्शनकारियों का एक बड़ा हिस्सा हैं. उन्होंने अपने सुझाव को दोहराया कि न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर गारंटी के जरिए इस मुद्दे का समाधान किया जा सकता है.
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