सरकार की कमिटी ने कहा- देश में वैक्सीन लगने से सिर्फ एक मौत, बिना घबराहट के लगवाएं टीका
सरकार ने कहा कि अब तक देश में 26 करोड़ से ज्यादा कोरोना वैक्सीन की डोज दी जा चुकी है और मौत का एक मामला सामने आया है. सरकार ने साफ किया कि सभी सेफ्टी पैरामीटर पर सही पाए जाने के बाद ही देश में वैक्सीन दी जा रही है. इसलिए बिना घबराहट के टीका लगवाएं.
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नई दिल्ली: भारत में कोरोना की वैक्सीन लगने के बाद तबीयत खराब होने की कई घटनाएं सामने आईं. लेकिन पहली बार केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा बनाई कमिटी नेशनल एडवर्स इवेंट्स फॉलोविंग इम्यूनाइजेशन ने माना कि कोरोना की वैक्सीन लगने के बाद देश अब तक सिर्फ एक व्यक्ति की मौत हुई है. देश में अब तक 26 करोड़ से ज्यादा वैक्सीन डोज दी गई है और सिर्फ एक ही मौत हुई है. कमिटी ने ये भी कहा है की वैक्सीन के नुकसान से कहीं ज्यादा इसके फायदे हैं.
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की नेशनल एडवर्स इवेंट्स फॉलोविंग इम्यूनाइजेशन के पास कोरोना वैक्सीनेशन की शुरुआत से लेकर अब तक 31 लोगों को गंभीर एईएफआई की शिकायत आई जिसमें से 28 की मौत हुई है. लेकिन कमिटी के मुताबिक सिर्फ एक मौत कोरोना की वैक्सीन लगने के बाद हुई है.
16 जनवरी से देश में कोरोना टीकाकरण अभियान शुरू हुआ था. इसके बाद एक कमिटी बनी थी जो वैक्सीन के बाद होने वाले एडवर्स साइड इफ़ेक्ट को देखेगी. ये कमिटी जिला, राज्य और नेशनल लेवल पर बनाई गई नेशनल एडवर्स इवेंट्स फॉलोविंग इम्यूनाइजेशन के पास कोरोना वैक्सीनेशन की शुरुआत से लेकर अब तक 31 लोगों को गंभीर एईएफआई की शिकायत आई.
कमिटी ने क्या पाया?
- 18 मौत के मामले टीके की वजह से जुड़े नहीं
- 7 मौत टीके के बाद हुई लेकिन अब तक ये साबित नहीं हुआ कि टीका मौत की वजह बनी
- 3 मामले वैक्सीन प्रोडक्ट से संबंधित थे जिनमें दो ठीक हो गए
- 2 मामलों में अहम जानकारी की कमी है
- 1 मामला एंजाइटी से जुड़ा है जिसमें अस्पताल में दाखिले के बाद तबीयत ठीक हो गई
वहीं सरकार के मुताबिक, देश में 26 करोड़ से ज्यादा वैक्सीन डोज दी जा चुकी है और सिर्फ एक ही ऐसा केस आया है. पूरे देश मे अब तक 488 एईएफआई केस आये और उसमें भी सिर्फ एक मौत हुई है. नीति आयोग के सदस्य डॉ वी के पॉल ने कहा, “26 करोड़ वैक्सीन दी जा चुकी है तो एक एईएफआई का इंस्टेन्स आपके सामने आया है. उसको इस दृष्टि से लेना चाहिए कि पब्लिक हेल्थ के जो फैसले होते है वो बड़े पब्लिक बेनिफिट को और जान बचाने के लिए लिए जाते है. रिस्क और फायदा बैलेंस में लिए जाता है लेकिन कोई डाउट नहीं होना चाहिए...वैक्सीन हमे अपना है. ये जो रिस्क है जितना भी ना के बराबर है. उसमे भी ये सिस्टम जो इसको कम करने के लिए.”
सरकार ने ये भी साफ किया कि सेफ्टी के पैरामीटर पर पूरी तरह ठीक पाए जाने के बाद ही वैक्सीन दी जा रही है. वहीं एईएफआई की कमिटी ने ये भी पाया है कि वैक्सीन के नुकसान कम और फायदे ज्यादा हैं. वहीं 26 करोड़ वैक्सीन डोज में सिर्फ एक ही ऐसा केस सामने आया है. इसलिए बिना किसी के डर या घबराहट के वैक्सीन लगवाएं.
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