यातायात नियम तोड़ने पर लगेगा भारी जुर्माना, शराब पीकर चलाई गाड़ी तो देना होगा 10,000 का फाइन
मोटर वाहन (संशोधन) विधेयक अगर इस बार पास हो गया तो यातायात से संबंधित नियम सख्त हो जाएंगे. शराब पीकर अगर गाड़ी चलाते हुए आप पकड़े गए तो आपको 10 हजार रुपये तक का जुर्माना देना पड़ सकता है. इतना ही नहीं आपको जेल की हवा भी खानी पड़ सकती है.
नई दिल्ली: शराब पीकर गाड़ी चलाना अब आपको महंगा पड़ सकता है. इस गुनाह के लिए आपको दस हजार रुपये तक का जुर्माना देना पड़ सकता है. दरअसल केंद्रीय मंत्रिमंडल ने सोमवार को मोटर वाहन (संशोधन) विधेयक के मसौदे को मंजूरी दे दी है. इसके तहत यातायात नियमों के उल्लंघन पर भारी जुर्माने का प्रावधान किया गया है. संशोधित विधेयक में 10 गुना तक जुर्माने और जेल तक की सजा का प्रावधान किया गया है. साथ ही ये भी सुनिश्चित किया जाएगा कि यातायात नियमों का उल्लंघन कर बच निकलने वालों पर नकेल कसी जा सके.
बता दें कि इससे पहले यह बिल 16वीं लोकसभा में पेश किया गया था लेकिन यह विधेयक राज्यसभा में लंबित रहा और कार्यकाल समाप्त होने के बाद निरस्त हो गया था. अब विधेयक में 18 राज्यों के परिवहन मंत्रियों की सिफारिशों पर आधारित प्रावधान कर नए सिरे से सरकार पेश करेगी.
क्या है बिल में नया प्रावधान
1-बिना बीमा पॉलिसी वाहन चलाने पर 2,000 रुपये तक का जुर्माना रखा गया है. 2-बिना सीट बेल्ट लगाए या बिना हेलमेट पहने वाहन चलाने पर 1,000 रुपये का जुर्माना और तीन माह के लिए लाइसेंस निलंबित किया जाना शामिल है. 3-किशोर द्वारा गाड़ी चलाते हुए सड़क पर कोई अपराध होने की स्थिति में गाड़ी के मालिक अथवा अभिभावक को दोषी माना जाएगा और तीन साल की सजा के साथ 25 हजार रुपये तक का जुर्माना किया जाएगा. साथ ही वाहन का पंजीकरण भी निरस्त कर दिया जाएगा. 4- संशोधन विधेयक के मसौदे के अनुसार, यातायात नियमों का उल्लंघन होने पर न्यूनतम 100 रुपये के स्थान पर 500 रुपये का जुर्माना लगाया जाएगा. 5-शराब पीकर गाड़ी चलाने पर 10 हजार रुपये का जुर्माना व जेल भी हो सकती है. 6-स्पीड लिमिट का उल्लंघन करने पर भी 2000 रुपये तक के जुर्माने का प्रावधान है 7-‘हिट एंड रन’ मामले में पीड़ित परिवार को 25,000 रुपये की जगह 2 लाख रुपये मुआवजा देने का प्रावधान है.
मोटर वाहन विधेयक 1988 में संशोधन बिल पहले भी लोकसभा में पास हो चुका है. हालांकि, इसे राज्यसभा में पास कराने को लेकर सरकार के सामने कई चुनौतियां हैं, जिनमें सबसे बड़ी चुनौती बिल को बहुमत से पास कराने की है.
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