(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
जानिए मोदी सरकार के लिए अर्थव्यवस्था के मोर्चे पर क्या है एक और बुरी खबर
आर्थिक सुस्ती के बीच मोदी सरकार के लिए एक और बुरी खबर है. केंद्रीय योजनाओं से रोजगार सृजन के क्षेत्र बढ़ने के बजाय और घटे हैं. सदन में रखे गये आंकड़ों के मुताबिक, केंद्रीय योजनाओं के तहत रोजगार सृजन में भारी गिरावट दर्ज की गई.
नई दिल्ली: बाजार में जारी आर्थिक सुस्ती के बीच मोदी सरकार के लिए एक और बुरी खबर है. अर्थव्यवस्था को मजबूती देने के लिए शुरू की गई योजनाओं से फायदा हासिल करनेवालों की संख्या में भारी गिरावट दर्ज की गई है. आंकड़ों को देखकर यही कहा जा रहा है कि चालू वित्तीय वर्ष में भी इसी तरह का रुझान देखने को मिल सकता है. पिछले वित्तीय वर्ष में राष्ट्रीय शहरी आजीविका मिशन (NULM), दीनदयाल अंत्योजय योजना (DAY), प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम (PMEGP) का जादू फीका रहा. संसद में रखे गये आंकड़ों के मुताबिक, केंद्रीय योजनाओं के तहत रोजगार सृजन में भारी गिरावट दर्ज की गई.
रोजगार सृजन में भारी गिरावट
श्रम और रोजगार मंत्रालय विस्तार से बताता है कि रोजगार सृजन की संख्या PMEGP के तहत गिरी है. PMEGP के तहत 2018-19 में जहां 5.87 लाख लोगों ने इससे फायदा उठाया तो वहीं 2018-19 में घटकर आंकड़ा 2.57 लाख हो गया. कमी का ये आंकड़ा मोदी सरकार के पहली बार सत्ता संभालने के बाद से सबसे ज्यादा है. रोजगार सृजन में सबसे ज्यादा गिरावट असम में आई है. 2018-19 में जहां रोजगार सृजन का आंकड़ा 29896 था वहीं चालू वित्तीय वर्ष (2019-20) में गिरकर 7576 हो गया. जबकि जम्मू-कश्मीर में 60232 से कम होकर 20336 पर आ गया. महाराष्ट्र में दादर और नागर हवेली समेत रोजगार सृजन का आंकड़ा 2018-19 में 45136 था तो 2019-20 में गिरकर 20032 पर पहुंच गया. ओड़ीशा में भी प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम का जादू नहीं चला. इसके आंकड़े बताते हैं कि योजना का लाभ लेनेवालों की 2018-19 में संख्या 24560 थी तो 2018-19 में भारी गिरावट के साथ 9136 रहा.
कुशल लोगों के प्लेसमेंट में भी कमी
DAY-NULM के तहत गरीबी घटानेवाली योजना में भी गिरावट की तरफ इशारा किया गया है. आंकड़ों के मुताबिक कुशल लोगों की प्लेसमेंट संख्या जहां 2018-19 में 1.78 लाख थी तो वहीं वर्तमान वित्तीय वर्ष में घटकर 44,066 हो गई. मनरेगा के आंकड़े सुस्ती की तरफ इशारा करते हैं. 2018-19 में जहां केंद्रीय योजना से 26796 लोगों को रोजगार मिला तो वहीं 2019-20 में संख्या घटकर 20577 हो गई. 2015-16 के आंकड़ों की तुलना में अबतक ये सबसे कम आंकड़ा है. दीन दयाल उपाध्याय ग्रामीण कौशल योजना के तहत भी प्रशिक्षण पानेवाले लोगों की संख्या में कमी दर्ज की गयी. आंकड़ों के मुताबिक 2.4 की तुलना में 1.74 लाख लोग प्रशिक्षित किये गये.
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