नई दिल्ली: कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी की कैलाश मानसरोवर यात्रा पर संकट के बादल छा गए हैं. आज विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार ने कहा, ''हमें राहुल गांधी की कैलाश मानसरोवर यात्रा के लिए कोई औपचारिक आवेदन नहीं मिला है.'' राहुल गांधी के आवेदन को लेकर पार्टी ओर से स्थिति साफ नहीं है, हालांकि सूत्रों के मुताबिक राहुल गांधी की ओर से सांसदों को विशेष अनुमति के प्रावधान की बात कही गयी है. कैलाश मानसरोवर यात्रा के लिए आवेदन की आखिरी तारीख 23 मार्च थी, इस साल यात्रा आठ जून से शुरू हुई है.





कर्नाटक चुनाव के दौरान कही यात्रा की बात
दिल्ली में एक रैली के दौरान राहुल गांधी ने कहा था कि कैलाश मानसरोवर की यात्रा का विचार उनके मन में कर्नाटक चुनाव अभियान के दौरान आया. उन्होंने कहा, ''मुझे समझ में नहीं आ रहा था कि ये बात बोलूं या नहीं. मैं जब विमान से कर्नाटक जा रहा था तब मेरा विमान अचानक 8000 फ़ीट नीचे आ गया. उसी दौरान मैंने सोचा कि कैलाश मानसरोवर की यात्रा करूंगा." राहुल ने रैली में मौजूद कार्यकर्ताओं से कर्नाटक चुनाव के बाद 10-15 दिनों की छुट्टी मांगी.


गुजरात चुनावों से शुरू हुआ मन्दिर जाने का सिलसिला
गुजरात चुनाव के दौरान राहुल गांधी ने सोमनाथ मंदिर समेत कई मंदिरों के दर्शन किए थे. उस दौरान उन पर न सिर्फ मंदिरों के ज़रिए राजनीति करने का आरोप लगा था बल्कि उनके हिन्दू होने पर भी सवाल खड़े हो गए थे. कांग्रेस ने राहुल का बचाव करते हुए उन्हें शिवभक्त और जनेऊधारी हिन्दू बताया था. कर्नाटक चुनाव के दौरान भी राहुल गांधी ने कई मठो और मंदिरों के दौरे किए थे.


कांग्रेस ने किया था राहुल गांधी का बचाव
कांग्रेस ने कैलाश मानसरोवर की यात्रा को लेकर राहुल गांधी का बचाव किया था. पार्टी ने कि इसे राजनीति से जोड़कर न देखें. पार्टी प्रवक्ता अखिलेश प्रताप सिंह ने कहा, "इमेज बदलने की जरूरत राहुल गांधी को नहीं बल्कि बीजेपी और नरेंद्र मोदी को है. राहुल तो सभी धर्मों में विश्वास रखते हैं".