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IN DETAIL: 133 तरह के सामानों में से 66 पर घटा GST, छोटे कारोबारियों होगा फायदा
नई दिल्ली: जीएसटी काउंसिल की बैठक में रविवार को चटनी, अचार, मुरब्बा, इंसुलिन, स्कूल बैग, कलरिंग बुक्स, नोटबुक्स, कटलरी, ट्रैक्टर के टायर, अगरबत्ती और 100 रुपए मूल्य तक के सिनेमा समेत 66 सामानों पर जीएसटी की दरें घटा दी गई हैं. ऐसा इंडस्ट्री से पिछली मीटिंग में तय किए गए रेट्स को रिवाइज करने की सिफारिश के बाद किया गया है. जीएसटी यानी पूरे देश को एक बाजार बनाने वाली व्यवस्था वस्तु व सेवा कर पहली जुलाई से लागू होगी.
मझौले और छोटे किस्म के कारोबारियों को राहत
राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में हुई इस बैठक में परिषद ने छोटे उत्पादकों, व्यापारियों और रेस्तरां परिचालकों को राहत देते हुए 75 लाख रुपए सालाना तक कारोबार करने वाले कारोबारियों को कंपोजिशन (एकमुश्त कर) योजना की सुविधा प्रदान की है.
गौरतलब है कि जीएसटी परिषद ने अभी तीन जून को ही अपनी बैठक में करीब 1,200 तरह की वस्तुओं को जीएसटी की विभिन्न दरों के दायरे में समायोजित किया था और इसे लेकर कुछ उद्योगों ने संशोधन की मांग उठायी थी.
133 तरह की वस्तुओं पर कर की दर में संशोधन की मांग पर विचार हुआ
जीएसटी में चार स्तर की, 5, 12, 18 और 28 प्रतिशत की दरें निर्धारित की गई हैं. जीएसटी परिषद की आज यहां हुई 16वीं बैठक में 133 प्रकार की वस्तुओं पर कर की दर में संशोधन की मांग पर विचार किया गया. परिषद ने अगरबत्ती, कंप्यूटर प्रिंटर, काजू, बच्चों की चित्रलेखन पुस्तिका और स्कूली बस्ता समेत कुल 66 प्रकार की मदों पर कर की दर में संशोधन किया.
छोटे कारोबारियों की आसानी के लिए परिषद ने यह भी निर्णय किया कि 75 लाख रुपए तक के कारोबार वाले व्यापारी, विनिर्माता और रेस्तरां मालिक एक कंपोजीशन योजना का विकल्प चुन सकते हैं और क्रमश: एक प्रतिशत, दो प्रतिशत तथा पांच प्रतिशत की दर से कर का भुगतान कर सकते हैं.
सिनेमा का टिकट
बैठक में तय हुआ कि 100 रुपये से ज्यादा कीमत वाले सिनेमा की टिकट पर जीएसटी की दर 28 फीसदी पर बरकरार रहेगी, लेकिन 100 रुपये से कम की टिकट पर ये दर 18 फीसदी होगी. पहले सभी के लिए 28 फीसदी की दर रखी गयी थी जिसपर सिनेमा उद्योग ने ज्ञापन दिया. सिनेमा उदयोग का कहना था कि इस तरह की कर व्यवस्था से क्षेत्रीय सिनेमा को नुकसान होगा. अभी अलग-अलग राज्य अपने यहां की भाषायी सिनेमा को रियायतें देते हैं, लेकिन जीएसटी लागू होने पर ये खत्म हो जाएगा. हालांकि राज्य सरकार चाहें तो वो सब्सिडी दे सकती हैं, लेकिन ये बहुत फायदेमंद नहीं रहेगा. इसी के मद्देनजर, बकौल जेटली, सिनेमा टिकट के लिए दो दरें रखी गयी है.
छोटे व्यापारियों, रेस्तरां परिचालकों का बोझ हल्का होगा- जेटली
बैठक के बाद संवाददाताओं से बातचीत में वित्त मंत्री अरूण जेटली ने कहा, ‘‘हमने दरों को जहां तक संभव है राजस्व निरपेक्ष बनाए रखने की कोशिश की है. नए फैसले से राजस्व की कुछ हानि हो सकती है लेकिन इससे छोटी और मझोली इकाइयों, छोटे व्यापारियों, रेस्तरां परिचालकों का बोझ हल्का होगा.’’ उन्होंने कहा कि यह तीनों कारोबार सबसे ज्यादा रोजगार देने वाले व्यवसाय हैं.
इन चीजों पर घटा GST
अचार, मस्टर्ड सॉस, टॉपिंग स्प्रैड, इंस्टेंट फूड मिक्स, चटनी और मुरब्बा जैसे खाद्य वस्तुओं पर 12 प्रतिशत जीएसटी लगेगा जबकि पहले इस पर 18 प्रतिशत कर लगाने का प्रस्ताव था. साथ ही काजू पर जीएसटी को 12 प्रतिशत से कम कर 5 प्रतिशत कर दिया गया है. परिषद ने बच्चों की चित्रलेखन पुस्तिका पर शून्य जीएसटी लगाने का प्रस्ताव किया जबकि पूर्व में इस पर 12 प्रतिशत की दर से शुल्क लगाने की बात कही गयी थी. कंप्यूटर प्रिंटर पर 28 प्रतिशत के बजाए 18 प्रतिशत जीएसटी लगाने का प्रस्ताव किया गया.
इंसुलिन और अगरबत्ती पर जीएसटी कम कर 5 प्रतिशत कर दिया गया है जबकि स्कूल बैग पर 18 प्रतिशत शुल्क लगेगा. काजल पर 28 प्रतिशत के बजाए 18 प्रतिशत कर लगाने का प्रस्ताव किया गया है. इसके अलावा कटलरी पर यह दर 18 से घटाकर 12 प्रतिशत की गई है. ट्रैक्टरों के कलपुर्जे, प्लास्टिक के मोतियों और प्लास्टिक तिरपाल को 28 की जगह 18 प्रतिशत कर दायरे में लाया गया है.
इसके अलावा कपड़ा, हीरा प्रंस्करण, चमड़ा, आभूषण और छपाई उद्योग में जॉब-वर्क करने वालों पर पांच प्रतिशत जीएसटी का प्रावधान किया गया है जबकि पहले इनकी सेवाओं को 18 प्रतिशत दर के दायरे में रखा गया था.
वित्त मंत्री जेटली ने कहा, ‘’कई मामलों में जीएसटी फिटमेंट समिति की सिफारिशें समतुल्यता के सिद्धांत से भी आगे बढ़कर रहीं क्योंकि पहले इन मदों पर उंची दर से कर लगता रहा था लेकिन बदली आर्थिक अवधारणाओं में उन पर बोझ कम करने जरूरत महसूस की गई इसलिए इन सिफारिशों को स्वीकार कर जीएसटी परिषद ने 133 में से 66 मदों पर कर की दरें कम की हैं.
परिषद की अगली बैठक 18 जून को होगी. उसमें लॉटरी कर तथा ई-वे बिल पर विचार किया जाएगा.
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प्रशांत कुमार मिश्र, राजनीतिक विश्लेषक
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