नयी दिल्ली: संसद में पिछले 12 दिन से जारी गतिरोध के लिए सरकार को सीधे तौर पर जिम्मेदार ठहराते हुए कांग्रेस की अगुवाई में विपक्षी दलों ने आरोप लगाया कि संसदीय कार्य मंत्री सहित सरकार के किसी भी वरिष्ठ मंत्री ने इसे लेकर विपक्षी से बातचीत की कोई पहल नहीं की है. उनका यह भी कहना था कि सरकार बैंक घोटाले मुद्दे पर चर्चा से बचने के लिए नहीं चाहती कि दोनों सदन चलें.
राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष गुलाम नबी आजाद ने कहा,"हमने उच्च सदन के सभापति से यह अनुरोध किया कि विपक्ष की ओर से मुझे सदन के पटल पर बोलने दिया जाए. मैं सभापति का आभारी हूं कि उन्होंने मुझे बोलने की अनुमति दी. मैंने समूचे विपक्ष की ओर से कहा कि तीन महत्वपूर्ण मुद्दे हैं, जिन्हें लेकर देश के लोगों के मन में चिंता है. राष्ट्रीय महत्व का एक मुद्दा है बैंक घोटाला. केवल संसद ही नहीं पूरा देश चाहता है कि इस मुद्दे पर संसद में विस्तार से चर्चा हो. इसे प्राथमिकता दी जानी चाहिए क्योंकि यह पूरे देश के लिए महत्वपूर्ण मामला है."
उन्होंने कहा कि दो अन्य मुद्दे क्षेत्रीय महत्व के हैं. पहला, आंध्र प्रदेश को विशेष दर्जा देने का मुद्दा. भले ही विपक्षी दल हो या सत्ता पक्ष के दल, दोनों तरफ के सदस्य चाहते हैं कि आंध्र प्रदेश को विशेष दर्जा देने के मुद्दे पर संसद के पटल पर चर्चा हो. दूसरा मुद्दा कावेरी नदी का है, जिस पर भी सदन के पटल पर चर्चा होनी चाहिए. आजाद ने कहा कि उन्होंने लोकसभा में कांग्रेस के मुख्य सचेतक ज्योतिरादित्य सिंधिया से बात कर उनसे कहा कि वह भी यही रूख अपनायें.
आजाद ने कहा कि इसी के साथ हम यह भी चाहते हैं कि संसद के दोनों सदन चलें. हम विधेयक सहित सरकारी कामकाज पर चर्चा कर उसे पारित करने के भी इच्छुक हैं. आप इन्हें सरकारी विधेयक कह सकते हैं किंतु इनके लिए हम भी चिंतित हैं क्योंकि यह आम नागरिकों के सरोकार से जुड़े विधेयक हैं. हम चाहते हैं कि सरकारी कामकाज के साथ साथ उन मुद्दों पर भी चर्चा होनी चाहिए जिन्हें लेकर आम आदमी को चिंता है.
उन्होंने कहा कि ऐसा पहली बार हो रहा है कि सरकार की ओर से गतिरोध को समाप्त करने के लिए कोई पहल नहीं की जा रही. पहले सरकार के वरिष्ठ मंत्री पहल करते हुए विपक्ष के साथ बातचीत करते थे ताकि मुद्दों का समाधान निकाला जा सके. बजट सत्र बहुत ही महत्वपूर्ण होता है किंतु अभी तक किसी वरिष्ठ मंत्री ने विपक्षी दलों से सम्पर्क नहीं किया है. यह सही है कि मुद्दे के समाधान के लिए राज्यसभा के सभापति ने सभी तरह के प्रयास किये हैं और इसके लिए हम उन्हें श्रेय देते हैं. किंतु सरकार को आगे आना चाहिए.
आजाद ने कहा कि पूरे विपक्ष का मानना है कि सरकार दोनों सदनों को चलाने की इच्छुक नहीं है तथा वह मुद्दों पर चर्चा से भाग रही है. वे चर्चा का सामना नहीं करना चाहते. वे बैंक घोटाले से बहुत डरे हुए हैं और देश की जनता का सामना करने से डर रहे हैं.
इस अवसर पर सिंधिया ने कहा कि बजट सत्र के दूसरे चरण का आज 12वां दिन हो गया और ऐसा क्यों है कि संसदीय कार्य मंत्री ने आज तक किसी भी विपक्षी दल से सम्पर्क नहीं किया? लोकतंत्र में दो अविश्वास प्रस्ताव लाये गये और विपक्ष ने उनका समर्थन किया. क्या कारण है कि अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा नहीं हो पा रही है? विपक्ष का हर सदस्य कह रहा है कि सदन चलना चाहिए.
उन्होंने कहा, ‘‘मैं आरोप लगाता हूं कि सरकार की यह साजिश है कि सदन नहीं चले. सदन में आसन के समक्ष आने वाली दोनों पार्टियो तेदेपा और वाईआरएस कांग्रेस के सदस्य भी अब हंगामा नहीं कर रहे हैं किंतु सरकार ही चर्चा नहीं चाहती. यदि सरकार पारदर्शिता चाहती है, तो ऐसा क्यों है कि वित्त विधेयक हंगामे में ही पारित करवा लिया जाता है और अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा नहीं होती. उन्होंने कहा कि सरकार स्पष्टीकरण देने से भाग नहीं सकती.’’
इससे पहले आज विपक्षी दलों की बैठक हुई जिसमें कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस, सपा, द्रमुक, भाकपा, बसपा, राकांपा और माकपा के नेता शामिल थे.