नई दिल्ली: केंद्र सरकार ने उत्तराखंड हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश केएम जोसेफ को सुप्रीम कोर्ट में न्यायाधीश बनाने की कोलेजियम की सिफारिश आज सुप्रीम कोर्ट को लौटा दी. सरकार ने कहा है कि यह प्रस्ताव शीर्ष अदालत के मानदंडों के अनुरूप नहीं है और उच्चतर न्यायपालिका में पहले से ही केरल का पर्याप्त प्रतिनिधित्व है. कोलेजियम की सिफारिश लौटाने को सही ठहराते हुए केन्द्र ने आज चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा को इस संबंध में लंबी चिट्ठी लिखी है. इसमें अपने फैसले के बारे में कोलेजियम को विस्तार से बताया गया है. इसमें यह भी कहा गया है कि क्षेत्रीय प्रतिनिधित्व सुनिश्चित करने के लिए वरिष्ठता हो सकता है कि महत्वपूर्ण विचारणीय बिन्दु नहीं हो.
केन्द्रीय विधि मंत्रालय के इस चिट्ठी में कहा गया है कि न्यायमूर्ति जोसेफ के नाम पर फिर से विचार करने के प्रस्ताव को राष्ट्रपति राम नाथ कोविन्द और प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदी की मंजूरी थी. इसमें कहा गया है कि शीर्ष अदालत में पहले से ही न्यायमूर्ति कुरियन जोसेफ हैं जिन्हें हाई कोर्ट से आठ मार्च, 2013 को सुप्रीम कोर्ट में प्रमोट किया गया था. इसके अलावा हाई कोर्ट के दो अन्य मुख्य न्यायाधीश टीबी राधाकृष्णन और एंटनी डोमिनिक हैं जिनका मूल हाई कोर्ट केरल था.
इस चिट्ठी में कहा गया है कि इस समय केरल हाई कोर्ट से ही एक और न्यायाधीश को सुप्रीम कोर्ट में प्रमोशन देना न्यायोचित नहीं लगता है क्योंकि यह दूसरे हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीशों और न्यायाधीशों के वैध दावों पर गौर नहीं करता और उनके दावों को ‘‘पहले ही रोकता’’ है. विधि मंत्रालय के संदेश में कहा गया है कि इस बात का उल्लेख करना उचित होगा कि केरल हाई कोर्ट का सुप्रीम कोर्ट और अलग-अलग उच्च न्यायालयों के मुख्य न्यायाधीशों में पर्याप्त प्रतिनिधित्व है.
चीफ जस्टिस की अध्यक्षता वाली कोलेजियम में पांच न्यायाधीश हैं. इनमें न्यायमूर्ति जे चेलामेश्वर, न्यायमूर्ति रंजन गोगोई, न्यायमूर्ति मदन बी लोकूर और न्यायमूर्ति कुरियन जोसेफ शामिल हैं.