नई दिल्ली:  डिजिटल से महंगा पड़ सकता है नकद भुगतान. आने वाले दिनों में हो सकता है नकदी में सामान खरीदने के लिए आपको अतिरिक्त पैसा देना पड़े. ऐसा सरकार डिजिटल को बढ़ावा दने के लिए कर सकती है.


डिजिटल लेन देन को बढ़ावा देने के लिए सरकार भविष्य में नकद भुगतना को महंगा कर सकती है. कैश में होनेवाले लेनदेन पर कुछ सेस लगाकर सरकार ऐसा कर सकती है. डिजिटल पेमेंट्स को बढ़ावा देने के तरीकों पर सुझाव देने के लिए बनाई गई रतन वट्टल कमेटी ने अपनी सिफारिशों में कैश के जरिए लेनदेन पर चार्ज लगाने की बात कही थी.


लोग डिजिटल माध्यम से खर्च करने में इसलिए भी हिचकिचाते हैं, क्योंकि उसके लिए अतिरिक्त पैसा खर्च करना पड़ता है. इसी को देखते हुए रिजर्व बैंक ने खास प्रोत्साहनों का एलान किया है. IMPS और uniified Payment Interface (UPI) systems के जरिए 1000 रुपये तक के लेन-देन पर कोई चार्ज नहीं लगेगा.


आम तौर पर एक हजार रुपये के लेन-देन पर 5 रुपए चार्ज लगता है. ये सुविधा 1 जनवरी से 31 मार्च तक के लिए होगी. आईएमपीएस एक बैंक खाते से दूसरे बैंक खाते में तुरंत पैसा ट्रांसफर करने की सुविधा देता है. एक ही बैंक के दो खाताधारकों के बीच या एक बैंक से दूसरे बैंक के खाताधारकों के बीच इस सुविधा का इस्तेमाल किया जा सकता है.


रिजर्व बैंक ने डेबिट कार्ड पर सर्विस चार्ज यानी यानी मर्चेंट डिस्काउंट रेट की दरों का ऐलान किया है. नयी दरें 1 जनवरी से 31 मार्च तक के लिए लागू होंगी. नयी दरों के तहत डेबिट कार्ड पर 1000 रुपए के लेन-देन पर 0.25 फीसदी यानी ज्यादा से ज्यादा ढ़ाई रुपये का सर्विस चार्ज लगेगा. वहीं एक हजार रुपए से दो हजार रुपए तक के लेन-देन पर सर्विस चार्ज 5 रुपए होगा. दो हजार रुपए से ऊपर के लिए पहले की तरह की व्यवस्था होगी.


गौरतलब है कि प्रधानमंत्री मोदी ने छोटे व्यापारियों को ये भरोसा भी दिलाया है कि डिजिटल लेन-देन अपनाने के बाद अगर उनका कारोबार पहले से ज्यादा निकलता है, तो उनके पिछले रिकॉर्ड को खंगाला नहीं जाएगा.


काले कारोबार पर अंकुश लगाने के लिए सरकार डिजिटल लेन देन को बढावा देने की कोशिश में लगातार जुटी हुई है. नोटबंदी के बाद इसका असर भी देखने को मिल रहा है और पहले के मुकाबले बड़ी संख्या में लोग कैशलेस ट्रांजेक्शन करने लगे हैं.