चीन से टकराव को लेकर स्थिति नियंत्रण में, सरकार के शीर्ष सूत्रों ने ABP न्यूज़ से कहा- घबराने की जरूरत नहीं
एलएसी पर चीन के करीब दो हजार सैनिक डटे हैं. इसे देखते हुए भारतीय सेना ने भी ‘मिरर डिप्लोयमेंट’की है. यानि चीनी सैनिकों की काट के लिए इतने ही भारतीय सैनिक भी तैनात हैं. थलसेना प्रमुख ने खुद मीटिंग में रक्षा मंत्री और एनएसए को स्थिति की जानकारी दी है.
नई दिल्ली: लद्दाख में चीनी सेना से चल रही तकरार के बीच सरकार के पहली प्रतिक्रिया आई है. सरकार के टॉप सूत्रों ने एबीपी न्यूज़ से कहा कि लद्दाख में स्थिति पूरी तरह से भारतीय सेना के नियंत्रण में है और चीनी सैनिकों की मौजूदगी से ‘पैनिक’ यानि घबराने की जरूरत नहीं है.
सूत्रों के मुताबिक, खुद थलसेना प्रमुख जनरल एम एम नरवणे ने शुक्रवार को रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, विदेश मंत्री एस जयशंकर और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोवाल की मौजूदगी में लद्दाख में चीनी सेना से चल रही तकरार और टकराव के बारे में एक उच्च स्तरीय बैठक में वस्तु-स्थिति से अवगत कराया. इस मीटिंग में चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ, जनरल बिपिन रावत सहित वायुसेना और नौसेना प्रमुख भी मौजूद थे. आपको बता दें कि शुक्रवार को ही थलेसना प्रमुख जनरल नरवणे ने चुपचाप लेह स्थित 14वीं कोर के मुख्यालय का दौरा कर सेना की ऑपरेशनल तैयारियों का जायजा लिया था.
सूत्रों के मुताबिक, लद्दाख से सटी वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर इस समय करीब दो हजार चीनी सैनिक डटे हैं. अकेले गलवान घाटी में ही करीब 500-800 सैनिक मौजूद हैं. इसके अलावा लद्दाख में पैंगोंग त्सो लेक के करीब फिंगर एरिया में भी चीनी सैनिकों की मौजूदगी है. कुछ और भी इलाके है जहां चीनी सैनिकों की तादाद पिछले कुछ दिनों में बढ़ी है. लेकिन जानकारी कें मुताबिक, भारतीय सेना ने चीनी सेना के खिलाफ ‘मिरर डेप्लोयमेंट’ की है यानि भारत के भी लगभग उतने ही सैनिक एलएसी पर तैनात किए गए हैं जितने चीन के हैं ताकि चीन की हर चाल को नाकाम कर दिया जाए. इसके अलावा भारतीय सेना ने अपने रिजर्व फोर्स को भी एलएसी के करीब तैनात किया है. ताकि जरूरत पड़ने पर इन सैनिकों को आगे मूव किया जा सके.
सूत्रों के मुताबिक, शुरूआत में भारत और चीन के सैनिकों के बीच कई जगह भिड़ंत हुई थी, जिसके कारण दोनों ही तरफ के सैनिक घायल हुए थे. यहां तक की पत्थरबाजी के दौरान एक दूसरे की गाड़ियों तक के शीशे तोड़ दिए गए थे. लेकिन सूत्रों ने साफ किया कि चीनी सैनिकों ने किसी भी तरह से भारतीय सैनिकों को बंधक नहीं बनाया था. खुद सेना के प्रवक्ता, कर्नल अमन आनंद ने कहा था कि “भारतीय सैनिकों को बंधक बनाने वाली खबरें पूरी तरह गलत हैं. भारतीय सेना इस तरह की खबरों को पूरी तरह से खंडन करती है. इस तरह की बेबुनियाद खबरों से मीडिया सिर्फ राष्ट्र-हितों को चोट पहुंचाती है.”
सूत्रों के मुताबिक, कई स्तर पर चीन से मीटिंग और बातचीत हो रही है ताकि बॉर्डर पर दोनों देशों के बीच चल रहे तनाव को जल्द से जल्द खत्म किया जा सके.
आपको बता दें कि भारत द्वारा लद्दाख में एलएसी पर कराए जा रहे निर्माण-कार्यों के चलते चीन खफा है. गलवान घाटी में चीनी सैनिक 80 तंबू लगाकर जो कैंप किए हुए हैं वो डीबीओ यानि दौलत बेग ओल्डी पर बनाए गई नई सड़क के कारण हैं. लद्दाख के दुरबुक ( या डुरबुक) से श्योक होती हुई ये सड़क डीबीओ तक जाती है. पिछले साल अक्टूबर के महीने में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने श्योक नदी पर एक बड़े पुल का उद्घाटन किया था जिसके बाद करीब 255 किलोमीटर लंबी सामरिक महत्व की ये सड़क पूरी कर ली गई थी. इस सड़क के करीब भारतीय सेना ने डिफेंस-फैसेलिटी इत्यादि तैयार किए हैं जिसका जिक्र चीन के मुखपत्र ग्लोबल टाइम्स ने हाल में किया था, जिसको लेकर ही चीन ने यहां पर टेंट गाड़ लिए हैं. क्योंकि गलवान घाटी इसी डीबीओ रोड के बेहद करीब है.
इसी तरह से 5 मई की रात को फिंगर-एरिया में जो दोनों देशों के सैनिकों के बीच झड़प हुई थी वो भी भारत द्वारा इस क्षेत्र में सड़क और बंकर बनाने को लेकर हुई थी. लेकिन सेना के सूत्रों ने साफ किया कि अगर चीनी सेना किसी भी तरह से कोई हिंसक कारवाई करती है तो भारतीय सेना भी करारा जवाब देने के लिए तैयार है.
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