दिल्ली-एनसीआर में वायु प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए केंद्र सरकार जल्द ही एक नया कानून लाएगी. पर्यावरण मंत्रालय के एक अधिकारी ने सोमवार को यह जानकारी दी. पर्यावरण सचिव आरपी गुप्ता ने कहा, 'नया कानून केवल दिल्ली और एनसीआर के लिए होगा. यह जल्द ही सामने आएगा. इसके जुर्माने संबंधी सूचना पर मैं कोई टिप्पणी नहीं कर सकता. यह नया कानून केवल दिल्ली-एनसीआर क्षेत्र में प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए है. वायु कानून राष्ट्र के लिए है और यह जस का तस रहेगा.'


दरअसल, सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली-एनसीआर में वायु गुणवत्ता के खराब होते स्तर को लेकर चिंता जताई थी और केंद्र ने कोर्ट को बताया था कि वह प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए नया कानून लाएगा और उसके समक्ष चार दिन के भीतर एक प्रस्ताव पेश करेगा. इसके बाद ही गुप्ता की यह प्रतिक्रिया सामने आई है. वहीं, सोमवार को भी लगातार चौथे दिन वायु गुणवत्ता सूचकांक के तहत वायु गुणवत्ता का स्तर 353 रहा जो 'बेहद खराब' की श्रेणी में आता है.


सुप्रीम कोर्ट ने फैसले का किया स्वागत
चीफ जस्टिस एसए बोबडे की अध्यक्षता वाली पीठ ने केंद्र का प्रतिनिधित्व कर रहे मेहता से कहा, वह वायु प्रदूषण के खतरे को दूर करने के लिए एक निकाय की स्थापना के केंद्र के फैसले का स्वागत करता है. चीफ जस्टिस ने राजधानी में वायु प्रदूषण के खतरे का हवाला देते हुए कहा, "हर कोई शहर में घुट रहा है, इस पर अंकुश लगाया जाना चाहिए."


दरअसल, पिछली सुनवाई में अदालत ने पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश में जलाई जाने वाली पराली की निगरानी (मॉनिटरिंग) के लिए पूर्व न्यायाधीश लोकुर को एक सदस्यीय निगरानी समिति नियुक्त करने का आदेश दिया था. सुप्रीम कोर्ट ने दोहराया कि वह केंद्र के इस कदम का स्वागत करती है, जिसमें वह वायु प्रदूषण समस्या से निपटने के लिए एक कानून बनाकर एक स्थायी निकाय बनाएगी, जिसमें पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश में जलने वाली पराली का प्रदूषण भी शामिल है.


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