Budget Session 2023: राज्यसभा में पूछे गए एक सवाल के लिखित जवाब में केंद्रीय कानून मंत्रालय ने राहत देने वाली बात बताई है. सरकार ने कहा है कि वह दो मंत्रालयों के बीच आपस में होने वाले विवाद को विभाग स्तर पर ही सुलझाने की प्रक्रिया लाने पर काम कर रहे हैं, ताकि अदालतों पर अतिरिक्त दबाव नहीं पड़े.


उन्होंने जवाब में बताया, क्षेत्रीय रेलवे और उत्पादन इकाइयों को उन मामलों की संख्या को कम करने के लिए प्रभावी कदम उठाने के लिए कहा गया है जिनमें सरकार ही एक पार्टी है. उन्होंने कहा, इससे अदालतों का बोझ कम होगा और उन मामलों की पैरवी के लिए लगने वाले पैसों में भी कमी आएगी.


किस प्रक्रिया और निर्देशों का पालन करेगी सरकार?


सरकार ने आगे कहा, इस प्रक्रिया पर काम करने के लिए सरकार ने एक पैनल बनाया है और इस पैनल में शामिल वकीलों को प्रभावी तरीके से काम करने को कहा है. उन्होंने इसके लिए सभी मंडलों को अदालत में अपने पक्ष ठीक ढंग से रखने को कहा है. 


इसी तरह राजस्व विभाग के तहत आने वाले केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (CBDT) और केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर और सीमा शुल्क बोर्ड (CBIC) को भी ऐसे ही कई मामलों जिनमें सरकार को उन्होंने एक पार्टी बनाया है, उन मामलों को निपटाने के लिए कहा गया है. 


इस मामले में सीबीडीटी ने क्षेत्र के अधिकारियों को निर्देशित करते हुए एक लेटर जारी किया है जिससे आयकर अपीलीय न्यायाधिकरणों/ हाई कोर्ट और सुप्रीन कोर्ट के सामने सुनवाई के लिए लगी कम प्रभाव वाली अपीलों को वापस लेने के मजबूर नहीं किया जा सकता है. 


अदालत में कितने केस पेंडिंग है? 
अभी तक के आंकड़ों के मुताबिक देश की कई अदालतों में लंबित मामलों की कुल संख्या 4.32 करोड़ से भी अधिक है. सुप्रीम कोर्ट में 69,000 से ज्यादा मामले लंबित हैं जबकि देश के 25 हाई कोर्ट में 59 लाख से अधिक मामले पेंडिंग हैं. 


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