मुंबई: अंगूर का मौसम आने वाला है, लेकिन महाराष्ट्र में अंगूर पैदा करने वाले किसान परेशान हैं. वो इसलिए क्योंकि नोटबंदी की वजह से अंगूर की पैदावार 20 से 25 फीसदी तक घट गई है. जाहिर है पैदावार कम होगी तो अंगूर की कीमत भी बढ़ जाएगी.


महराष्ट्र के पास नासिक अंगूरों के उत्पादन का एक बडा केंद्र है. नासिक के पास वडाली बोई गांव में अंगूर की खेती करने वाले किसान सोमनाथ जाधव की उम्मीदों पर पानी फिर गया है. इस साल मौसम अच्छा रहा और इन्हें उम्मीद थी कि अंगूरों की अच्छी फसल आयेगी, लेकिन नोटबंदी ने सब चौपट कर दिया.


इस साल इनके खेत में अंगूर की पैदावार 25 फीसदी कम हुई है. सोमनाथ के मुताबिक, पैदावार इसलिये कम हुई, क्योंकि नोटबंदी की वजह से उन्हें मजदूर कम मिले और फर्टीलाईजर भी.



सोमनाथ के जैसी हालत नासिक में अंगूर की खेती करने वाले तमाम मजदूरों की है. नासिक के इर्द गिर्द 1.75 एकड की जमीन में अंगूरों की खेती होती है, जिसपर हर साल करीब 2 लाख टन अंगूर की पैदावार होती है. यहां पैदा होने वाले अंगूर भारतभर के अलावा विदेश में भी निर्यात किये जाते हैं.


वाईन उद्योग एक बडी हद तक यहां पैदा होने वाले अंगूरो पर निर्भर है. इस साल मानसून अच्छा रहा और फिलहाल भी मौसम अंगूर की खेती के लिये अनुकूल है. नोटबंदी के पहले किसान पैदावार में 20 फीसदी के इजाफे की उम्मीद कर रहे थे, लेकिन बढने के बजाय पैदावार घट गई है.



कम पैदावार के अलावा किसानों की एक चिंता ये भी है कि तैयार फसल को क्या इस बार ठीकठाक कीमत मिल पायेगी. नासिक में ही पैदा होने वाले प्याज और टमाटर जैसी सब्जियों की कीमत बिलकुल गिर गई है और कई टन सब्जियां खरीददार न मिलने के कारण बर्बाद भी हुई हैं.


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