Greater Noida News: एक लिफ्ट में फंसे परिवार के 8 लोग, डेढ़ घंटे बाद किया गया रेस्क्यू
People Trapped In Lift: 11 अप्रैल साढ़े 9 बजे दुष्यंत प्रताप सिंह और उनका परिवार डेढ़ घंटे तक लिफ्ट के अंदर फंसे रहे. जिसके बाद सब को लगभग सवा 11 बजे सुरक्षित बाहर निकाला गया.
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8 People Trapped In Lift: हर महीने हजारों का मेंटेनेंस वसूलने के बावजूद सोसाइटी में रहने वाले निवासियों की जान खतरे में है. ग्रेटर नोएडा के अल्फा 2 इलाके में बनी गोल्फ गार्डेनिया सोसायटी में कल रात एक परिवार के 8 लोग लिफ्ट में डेढ़ घंटे तक फंसे रहे. फंसे हुए लोगों में दो बुजुर्ग, 2 बच्चे, एक दंपत्ति और दो युवक शामिल थे. लिफ्ट में फंसे लोग मदद के लिए डेढ़ घंटे तक चिल्लाते रहे, लेकिन उनको जल्दी रेस्क्यू नहीं किया जा सका.
जानकारी के मुताबिक कल (11 अप्रैल) साढ़े 9 बजे दुष्यंत प्रताप सिंह और उनका 8 लोगों का परिवार जिनमें एक ढाई साल की बच्ची और 8 साल का बच्चा भी शामिल है. सभी डेढ़ घंटे तक लिफ्ट के अंदर फंसे रहे. इसके बाद इन सब को लगभग सवा 11 बजे दमकल विभाग की टीम ने कड़ी मशक्कत के बाद सुरक्षित बाहर निकाला. पीड़ित परिवार के शख्स ने कहा कि बहुत पैनिक वाली सिचुएशन थी. डेढ़ घंटे तक परिवार को संभालना कोई आसान काम नहीं है. उन्होंने कहा कि जिस तरह का मंजर मैंने कल रात को देखा मैं दुआ करूंगा कि वह किसी और के साथ ना हो. मुझे बहुत दुख हुआ कि कुछ लोग यहां ये भी कह रहे थे कि लिफ्ट को मत काटो लिफ्ट खराब हो जाएगी.
हो सकता था बड़ा हादसा
एबीपी से बात करते हुए पीड़ित परिवार के शख्स दुष्यंत प्रताप सिंह ने बताया कि 9:30 बजे रात की घटना है. हमने सोसाइटी के गार्ड वगैरह को बुला लिया लेकिन उनसे कुछ नहीं हो पा रहा था. इसके बाद पुलिस और दमकल विभाग को बुलाया गया और फिर 11:00 बजे तक हम लिफ्ट से बाहर निकल पाए. उन्होंने कहा कि यह सरासर लापरवाही है अगर लिफ्ट का मेंटेनेंस ठीक तरीके से हो रहा होता तो फिर ऐसी घटना नहीं होती. दुष्यंत ने कहा कि बहुत ज्यादा लाचार महसूस कर रहा था मेरे पेरेंट्स और मुझे हाई बीपी है लेकिन हमारे पास इंतजार करने के अलावा और कोई रास्ता ही नहीं था. लिफ्ट ग्राउंड फ्लोर से ऊपर जा रही थी इसलिए बड़ा हादसा नहीं हुआ लेकिन अगर लिफ्ट ऊपर से आ रही होती तो कहीं ना कहीं एक बड़ा हादसा भी हो सकता था.
मेंटेनेंस नहीं होता है ठीक से
पीड़िता कुसुम सिंह ने कहा कि मुझे घबराने की पहले से बीमारी है, लेकिन मुझे ऐसा लग रहा था कि कहीं हार्ट अटैक ना आ जाए. मेरी तबीयत खराब हो गई थी मेरा दिमाग ही काम नहीं करा था. पूरी रात यही में ऐसा लग रहा था कि मैं लिफ्ट में ही फंसी हूं. ऐसा लग रहा था कि मुझे सांस नहीं आ रही है. लिफ्ट में जाने से डर लगता था पहले ही अब तो लिफ्ट में जाऊंगी ही नहीं सीढ़ियों से आया जाया करूंगी. पीड़ितों ने घटना में लापरवाही की बात की है. उनका कहना है कि सोसाइटी के आरडब्ल्यूए अध्यक्ष सोसाइटी में रहते ही नहीं है जबकि पिछले 5 साल से सोसाइटी में आरडब्ल्यूए के चुनाव ही नहीं हुए हैं. लिफ्ट का मेंटेनेंस ठीक से नहीं होता है इस वजह से ऐसी घटना होती रहती हैं.
पहले भी फंस चुके हैं लोग
कुछ दिनों पहले दूसरे टावर की लिफ्ट से फोर्थ फ्लोर से थर्ड फ्लोर पर नीचे आ रहे बच्चे फंस गए थे. उस समय उनके लिफ्ट तीसरे फ्लोर पर अटक गई थी. जिसके बाद बच्चों को निकालने में 35 से 40 मिनट का वक्त लग गया था.
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