नई दिल्लीः अमेरिका में एक भारतीय नागरिक के लिए स्थायी निवास या ग्रीन कार्ड पाने का बैकलॉग 195 वर्ष से अधिक है. इसे एक शीर्ष रिपब्लिकन सीनेटर ने अपने सीनेट सहयोगियों से इस समस्या का समाधान करने के लिए एक विधायी संकल्प के साथ आने का आग्रह किया है.


ग्रीन कार्ड जिसे आधिकारिक रूप से अमेरिका में स्थायी निवास कार्ड के रूप में जाना जाता है. ग्रीन कार्ड अमेरिका में अप्रवासियों को जारी किया गया एक दस्तावेज है, जो इस बात का प्रमाण है कि वाहक को स्थायी रूप से निवास करने का विशेषाधिकार प्राप्त है.


शीर्ष अमेरिकी सीनेटर माइक ली का कहना है कि मौजूदा ग्रीन कार्ड नीति उस अप्रवासी के बच्चे के लिए किसी भी काम का नहीं है, जिसके मरे माता-पिता के ग्रीन कार्ड आवेदन को अंतत: अस्वीकार कर दिया गया हो. बता दें कि अमेरिका में भारतीयों के लिए ग्रीन कार्ड की वेटिंग लिस्ट आज 195 साल से भी ज्यादा है. अगर कोई भारतीय ईबी-3 ग्रीन कार्ड प्राप्त करना चाहता है तो उसे 195 साल तक इंतजार करना होगा.


सीनेटर माइक ली ने अमेरिकी संसद में कानून पर बोलते हुए कहा कि सीनेटर डिक डर्बिन द्वारा उठाए गए कानून में आप्रवासी श्रमिकों और उनके बच्चों की रक्षा करने की बात की गई थी. जो की अब ग्रीन कार्ड बैकलॉग में काफी बूरी तरह से फंस गए हैं.


सीनेटर ली का कहना है कि ग्रीन कार्ड बैकलॉग से परिवारों को आव्रजन स्थिति खोने का खतरा है. द्विदलीय समझौता बैकलॉग में फंस गए अप्रवासी श्रमिकों और उनके तत्कालिक परिवार के सदस्यों को इससे निपटने में सुरक्षा देगा. बता दें कि वित्तीय वर्ष 2019 में, 9,008 भारतीय नागरिकों को EB1, 2,908 भारतीयों को EB2, और 5,083 को EB3 श्रेणी का ग्रीन कार्ड प्राप्त हुए हैं.


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