दिल्ली में प्रदूषण के 25 फीसदी कम होने का केजरीवाल सरकार का दावा गलत- ग्रीनपीस
पर्यावरण के क्षेत्र में काम करने वाले गैर सरकारी संगठन (एनजीओ) ग्रीनपीस इंडिया ने दिल्ली सरकार के उस दावे को सही नहीं माना है जिसमें उसने दिल्ली में प्रदूषण के 25 फीसदी कम होने का दावा किया है.
![दिल्ली में प्रदूषण के 25 फीसदी कम होने का केजरीवाल सरकार का दावा गलत- ग्रीनपीस Greenpeace- Air pollution in Delhi did not drop by 25 % as claimed by AAP दिल्ली में प्रदूषण के 25 फीसदी कम होने का केजरीवाल सरकार का दावा गलत- ग्रीनपीस](https://static.abplive.com/wp-content/uploads/sites/2/2019/11/08053331/delhi.jpg?impolicy=abp_cdn&imwidth=1200&height=675)
नई दिल्ली: दिल्ली में प्रदूषण के 25 फीसदी कम होने के केजरीवाल सरकार के दावे को पर्यावरण के क्षेत्र में काम करने वाले गैर सरकारी संगठन (एनजीओ) ग्रीनपीस इंडिया ने सही नहीं माना है. ग्रीनपीस ने गुरुवार को कहा कि दिल्ली सरकार का यह दावा गलत है कि पिछले कुछ वर्षों के दौरान वायु प्रदूषण में 25 प्रतिशत की कमी आई है. हालांकि, आप ने एनजीओ की यह रिपोर्ट खारिज कर दी है.
एनजीओ के विश्लेषण के मुताबिक, ‘‘दिल्ली और आसपास के राज्यों में वायु गुणवत्ता निगरानी और उपग्रह के आंकड़ों के साथ ही पेट्रोल-डीजल जैसे जीवाश्म ईंधनों की बढ़ती खपत को मिलाकर देखें तो सरकार का यह दावा सही नहीं लगता है कि पिछले वर्षों के दौरान प्रदूषण के स्तर में 25 प्रतिशत की कमी आई है.’’
आप ने खारिज की रिपोर्ट
ग्रीनपीस की रिपोर्ट पर प्रतिक्रिया देते हुए आप प्रवक्ता सौरभ भारद्वाज ने कहा कि उनके लिए यह विश्लेषण महत्वहीन है. उन्होंने कहा कि केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट में दायर हलफनामे में कहा है कि दिल्ली में प्रदूषण घटा है और अक्टूबर और नवंबर में प्रदूषण पराली जलाने से हो रहा है.
सीएम केजरीवाल ने प्रदूषण के 25 फीसदी कम होने का किया था दावा
बता दें कि दिल्ली सरकार के विज्ञापनों में मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने दावा किया है कि पीएम 2.5 ( हवा में मौजूद 2.5 माइक्रॉन के बराबर या कम व्यास के कण) का स्तर 2016 और 2018 के बीच घटकर औसतन 115 रह गया है, जो 2012 और 2014 के बीच औसतन 154 था. इन दावों को मानें तो प्रदूषण में 25 प्रतिशत की कमी आई है.
हालांकि, ग्रीनपीस इंडिया ने कहा है कि उपग्रह के आंकड़े बताते हैं कि इन कणों में 2013 से 2018 के बीच कोई संतोषजनक कमी नहीं आई है. पिछले तीन वर्षों की तुलना में सिर्फ 2018 के बाद के हिस्से में थोड़ी कमी देखने को मिली है. आप सरकार के दावों के विपरीत एनजीओ ने कहा है कि कुछ मामलों में प्रदूषण बढ़ा है.
ग्रीनपीस ने कहा है कि यह उल्लेखनीय है कि दिल्ली और पड़ोस के दो राज्यों- हरियाणा और पंजाब में कोयले की खपत 2015-16 से 2018-19 के बीच 17.8 प्रतिशत बढ़ी है. रिपोर्ट में कहा गया है कि दूसरी ओर इस दौरान पेट्रोलियम उत्पादों की खपत 3.3 प्रतिशत बढ़ी, जिससे प्रदूषण बढ़ा है.
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