नई दिल्ली: ग्रेटा थनबर्ग जलवायु परिवर्तन पर एक साल तक काम करने के बाद स्‍कूल लौट आई हैं. अब उन्होंने भारत में होने वाली JEE, NEET परीक्षा को स्‍थगित करने का समर्थन किया है. उन्‍होंने कहा कि बच्‍चों को कोरोना संकट के बीच में परीक्षा देने के लिए बैठने को कहना अनुचित है.


स्‍वीडन की पर्यावरण कार्यकर्ता ग्रेटा थनबर्ग ने कहा,'' यह बहुत अनुचित है कि भारत के छात्रों को ऐसे में राष्ट्रीय परीक्षा में बैठक के लिए कहा जा रहा है जब कोविड-19 महामारी के साथ ही लाखों लोग बाढ़ से भी प्रभावित हैं. मैं ‘कोविड-19 में जेईई, नीट परीक्षा’’ स्थगित करने के समर्थन में हूं.’’





आपको बता दें कि जेईई परक्षा इस साल 1 से 6 सितंबर तक आयोजित की जाएगी, जबकि नीट का आयोजन 13 सितंबर को किया जाएगा.


बता दें कि ग्रेटा एक साल बाद अपने स्कूल लौटी हैं. स्‍कूल लौटने के बाद ग्रेटा ने अपनी खुशी ट्विटर पर जाहिर की उन्होंने कहा, ''मेरा एक साल का स्‍कूल का गैप अब खत्‍म हो गया है और फिर से स्‍कूल में वापस आकर मुझे बहुत अच्‍छा लग रहा है.'' हाल में ही जलवायु परिवर्तन पर यूएन में 16 साल की एक ऐक्टिविस्ट ने दुनियाभर के नेताओं को अपनी चिंताओं और सवालों से झकझोर दिया था. उन्हें 2019 के लिए ‘टाइम’ पत्रिका का ‘पर्सन ऑफ द ईयर’ चुना गया है


भारत में भी हो रहा है विरोध


देश भर में कई छात्रों के साथ ही कांग्रेस नेता राहुल गांधी, पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और द्रमुक अध्यक्ष एम के स्टालिन सहित कई नेताओं ने केंद्र सरकार से आग्रह किया है कि जब तक कोविड-19 के प्रसार को नियंत्रण में नहीं लाया जाता तब तक के लिए परीक्षा स्थगित कर दी जाए.


नीट और जेईई सहित विभिन्न परीक्षाओं को कोविड-19 के बढ़ते मामलों के मद्देनजर स्थगित करने की मांग को लेकर रविवार को 4,000 से अधिक छात्रों ने एक दिन की भूख हड़ताल की.


यह विरोध प्रदर्शन ऐसे दिन हुआ जब गांधी ने कहा कि सरकार को छात्रों के 'मन की बात' सुननी चाहिए और "एक स्वीकार्य समाधान" पर पहुंचना चाहिए और उनकी पार्टी ने मांग की है कि राष्ट्रीय पात्रता सह प्रवेश परीक्षा (नीट) और संयुक्त प्रवेश परीक्षा (जेईई) टाल दी जाए.