अहमदाबाद: जिसका डर था आख़िरकार वही हुआ. गुजरात में पहले दौर की वोटिंग से पहले ही कांग्रेस ने ‘सेल्फ़ गोल’ कर लिया. पीएम नरेन्द्र मोदी जैसा चाहते थे ठीक वैसा ही हो रहा है. कांग्रेस के ‘फ्रीलांसर नेता’ मणिशंकर अय्यर के एक बयान से पार्टी की हवा ख़राब होने लगी है.


अहमदाबाद के सरदार पटेल पर एयरपोर्ट पर सब लोग इसी बात की चर्चा कर रहे थे. बातें तो गुजराती में हो रही थीं लेकिन मेरी आंखों के सामने पिछले लोकसभा चुनाव की तस्वीरें घूमने लगी थीं. प्रियंका गांधी के एक बयान पर उस वक़्त हंगामा मचा था. अपने पिता राजीव गांधी पर हो रहे राजनीतिक हमले से वो बेहद परेशान थीं. अमेठी में प्रचार के दौरान प्रियंका ने कहा था, “मोदी नीच राजनीति कर रहे हैं.” बस इसी बात को नरेन्द्र मोदी ने अपना राजनीतिक हथियार बना लिया. वे उस समय बीजेपी के प्रधानमंत्री उम्मीदवार थे. नरेंद्र मोदी ने अगले ही दिन प्रियंका गांधी का जवाब दिया. यूपी के डुमरियागंज में मंच से वे बोले, “मुझे फ़ांसी दे दो, मेरा जितना अपमान करना हो आप करो लेकिन मेरी जाति का अपमान न करो.” नरेंद्र मोदी ने बड़ी चालाकी से ‘नीच राजनीति’ को ‘नीच जाति की राजनीति’ बना दिया था. निशाना सही जगह पर लगा था.


यूपी और बिहार के पिछड़ी जाति के लोगों में प्रियंका गांधी के बयान का ज़बरदस्त रिएक्शन हुआ था. नरेंद्र मोदी यही चाहते थे. कांग्रेस के नेता सफ़ाई पर सफ़ाई देते रहे लेकिन कोई फ़ायदा नहीं हुआ. प्रियंका गांधी के बयान के बहाने मोदी पिछड़ों को गोलबंद करने में कामयाब रहे.


अपना बैग लेकर मैं अहमदाबाद एयरपोर्ट से बाहर निकल चुका था. कार में बैठा तो एफ़एम पर समाचार चल रहा था. राहुल गांधी ने मणिशंकर अय्यर को पीएम से माफ़ी मांगने को कहा है. फिर ख़बर आई कि ‘नीच’ वाले बयान पर अय्यर ने एक नहीं छह बार मोदी से माफ़ी मांगी. कार चला रहे राकेश परमार ने कहा, “काम लग गया कांग्रेस का, अपने पैर पर कुल्हाड़ी मार ली.” मैंने पूछा ऐसा क्यों? तो राकेश ने तपाक से जवाब दिया, “मोदी जी को वो लोग ‘नीच’ कह देंगे और आप क्या समझते हैं हम चुप रहेंगे?” मणिशंकर अय्यर के जवाब में पीएम मोदी का तीर एक बार फिर सही निशाने पर लगा था. अब गुजराती अस्मिता को लेकर बहस शुरू हो गई है.


अहमदाबाद से भरूच के रास्ते में आणंद के पास चाय पीने रुका. दुकान पर 10-12 लोग मौजूद थे. यहां भी वही चर्चा हो रही थी. नितिन पारिख ने कहा, “मोदी जी ने सूरत में क्या जवाब दिया है.” यहां दो ब्राह्मण, सात पिछड़ी जाति और एक-एक दलित और क्षत्रिय जाति के लोग थे. सबका यही कहना था कांग्रेस को पीएम मोदी के बारे में ऐसा नहीं कहना चाहिए था. सूरज पटेल ने कहा ये गुजरात का अपमान है.


जिस बात से राहुल गांधी और कांग्रेस पार्टी अब तक बच रहे थे पहले दौर के मतदान से पहले अब वही चुनावी एजेंडा बनता जा रहा है. राहुल गांधी की कोशिश यही थी कि नरेन्द्र मोदी चुनाव में गुजराती अस्मिता का कार्ड न खेल पाएं. इसीलिए ‘विकास पागल थई गयो’ से शुरुआत हुई थी.


ध्रुवीकरण को रोकने के लिए राहुल गांधी टीका लगा कर मंदिर-मंदिर घूम रहे हैं. लेकिन मणिशंकर अय्यर ने किए कराए पर पानी फेर दिया. वो कहते हैं न कि ग़लतियों से इंसान सीखता है लेकिन अय्यर साहेब तो दूसरी ही माटी के बने हुए हैं. पिछले लोकसभा चुनाव में उन्होंने नरेंद्र मोदी को ‘चायवाला’ कहा था. इस बार तो वे मोदी  को वही पिच दे बैठे जिस पर बैटिंग करने के लिए वे उतावले थे.