जानिए ISRO के कामयाबी की कहानी, जिस पर हिंद को नाज़ है
चेन्नई: स्पेस साइंस में इसरो (इंडियन स्पेस रीसर्च ऑर्गेनाइजेशन) एक बड़ा नाम है. अमेरिका की नासा जैसी सबसे बड़ी स्पेस एजेंसी भी इसरो का लोहा मान चुकी हैं. आइए जानते हैं साल 1969 से अबतक कैसा रहा है इसरो का कामयाबी भरा सफर.
GSLV मार्क-3 यानी सबसे ज़्यादा वज़न वाले रॉकेट की लॉन्चिंग पूरी हो गई है, लेकिन इससे पहले भी भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संस्थान यानी इसरो ने कामयाबी के कई झंडे गाड़े हैं.
'इसरो' का कामयाबी भरा सफर
भारत ने 18 जुलाई 1980 को पहला स्वदेशी उपग्रह SLV-3 लांच किया
1990 में पोलर सैटेलाइट लॉन्चिंग व्हीकल (PSLV) तैयार किया
1993 में पीएसएलवी की मदद से पहला उपग्रह अंतरिक्ष की कक्षा में भेजा गया
साल 2001 में पहले GSLV को लॉन्च किया गया जिसकी मदद से जीसैट-वन उपग्रह को कक्षा में स्थापित किया गया
इसरो ने साल 2008 में महत्वाकांक्षी चंद्रयान मिशन भी शुरू किया
पांच साल बाद 2013 में इसरो ने मंगल अभियान शुरू किया. इसरो का मंगल यान पहली ही कोशिश में ग्यारह महीने बाद मंगल पर पहुंचने में कामयाब रहा. जबकि अमेरिका, रूस और यूरोपीय स्पेस एजेंसियों को इस कामयाबी के लिए कई कोशिस करनी पड़ी.
पिछले साल अप्रैल 2016 में PSLV रॉकेट के जरिये भारत ने अपना सातवां नेविगेशन सैटेलाइट अंतरिक्ष में भेजा और अमेरिका की तरह अपना जीपीएस सिस्टम- नाविक बनाने में कामयाब हुआ.
इसी साल फरवरी में इसरो ने एक साथ 104 सैटेलाइट अंतरक्षि में भेजकर नया कीर्तिमान बनाया. अब इस कड़ी में जीएसएलवी मार्क- 3 नया इतिहास रच दिया है.