नई दिल्ली: सरकार का माल एवं सेवा (जीएसटी) संग्रह (कलेक्शन) मई में 1.02 लाख करोड़ रुपये रहा है. यह लगातार आठवां महीना है, जबकि जीएसटी संग्रह का आंकड़ा एक लाख करोड़ रुपये से अधिक रहा है. इन आंकड़ों से पता चलता है कि कोविड-19 संक्रमण की दूसरी लहर का अर्थव्यवस्था पर प्रभाव सीमित रहा है.


मई, 2021 में जीएसटी संग्रह पिछले साल के समान महीने की तुलना में 65 प्रतिशत अधिक है. मई, 2020 में जीएसटी संग्रह 62,009 करोड़ रुपये रहा था. पिछले साल कोविड-19 महामारी की वजह से राष्ट्रीय स्तर पर लॉकडाउन से आर्थिक गतिविधियां प्रभावित हुई थीं. इससे जीएसटी संग्रह में भी गिरावट आई थी.


हालांकि, मई महीने का जीएसटी संग्रह अप्रैल, 2021 के 1.41 लाख करोड़ रुपये के रिकॉर्ड से कम रहा है.


वित्त मंत्रालय की ओर से शनिवार को जारी बयान के अनुसार, मई में कुल जीएसटी संग्रह 1,02,709 करोड़ रुपये रहा. इसमें केंद्रीय जीएसटी (सीजीएसटी) का हिस्सा 17,592 करोड़ रुपये, राज्य जीएसटी (एसजीएसटी) का हिस्सा 22,653 करोड़ रुपये और एकीकृत जीएसटी (आईजीएसटी) का हिस्सा 53,199 करोड़ रुपये रहा. इसमें 26,002 करोड़ रुपये वस्तुओं के आयात पर जुटाए गए जबकि उपकर का हिस्सा 9,265 करोड़ रुपये रहा. उपकर में 868 करोड़ रुपये वस्तुओं के आयात पर जुटाए गए.


उपरोक्त आंकड़े घरेलू लेनदेन पर चार जून तक जीएसटी संग्रह के हैं. कोविड-19 की दूसरी लहर की वजह से करदाताओं को मई में 15 दिन की देरी से रिटर्न दाखिल करने पर ब्याज में छूट/कटौती के रूप में राहत दी गई है. मंत्रालय ने कहा कि कई राज्यों में सख्त लॉकडाउन के बावजूद संग्रह का आंकड़ा एक लाख करोड़ रुपये से अधिक रहा है.


मई, 2021 में वस्तुओं के आात पर राजस्व पिछले साल के समान महीने की तुलना में 56 प्रतिशत अधिक रहा. वहीं घरेलू लेनदेन (सेवाओं के आयात सहित) पर राजस्व एक साल पहले के सामन महीने से 69 प्रतिशत ऊंचा रहा.


इसके अलावा पांच करोड़ रुपये से अधिक के कारोबार वाले करदाताओं को अपना कर रिटर्न चार जून तक दाखिल करना था. सामान्य परिस्थिति में उन्हें यह रिटर्न 20 मई तक दाखिल करना पड़ता. वहीं पांच करोड़ रुपये से कम के कारोबार वाले करदाताओं के पास रिटर्न दाखिल करने के लिए बिना विलंब शुल्क और ब्याज के जुलाई के पहले सप्ताह तक का समय है. ऐसे में इन करदाताओं से मिलने वाले राजस्व का अभी आकलन नहीं हुआ है.


मंत्रालय ने कहा कि ऐसे में मई, 2021 के लिए वास्तविक राजस्व का आंकड़ा कहीं ऊंचा रहेगा.