जीएसटी परिषद का बड़ा फैसला, गुड्स मूवमेंट के लिए अनिवार्य होगा ई-वे बिल
15 जनवरी से ई-वे बिल के सॉफ्टवेयर का ट्रायल शुरू होगा, जबकि सभी राज्य 1 फरवरी से इंटर-स्टेट ट्रांसपोर्ट पर इसे लागू कर सकेंगे.

नई दिल्ली: वित्त मंत्री अरुण जेटली की अध्यक्षता में शनिवार को हुई गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स (GST) काउंसिल की 24वीं बैठक में उत्पादों के अंतरराज्यीय मूवमेंट के लिए ई-वे बिल को अनिवार्य किए जाने की मंजूरी दे दी गई है. सूत्रों के मुताबिक एक जून 2018 से ई-वे बिल का अनिवार्य रूप से अनुपालन करना होगा.
15 जनवरी से ई-वे बिल के सॉफ्टवेयर का ट्रायल शुरू होगा, जबकि सभी राज्य 1 फरवरी से इंटर-स्टेट ट्रांसपोर्ट पर इसे लागू कर सकेंगे. वहीं 1 जून से ई-वे बिल इंट्रा-स्टेट ट्रांसपोर्ट पर भी लागू होगा. जीएसटी व्यवस्था में ई-वे बिल की शुरुआत टैक्स चोरी रोकने के लिये की गई है.
अक्टूबर महीने में जीएसटी के तहत टैक्स वसूली में हुई गिरावट की बड़ी वजह सरकार ने टैक्स चोरी को बताया है. इसके बाद ही ई-वे बिल लाने को मंजूरी दी गई है. अक्टूबर में जीएसटी वसूली 83,346 करोड़ रुपए रही जो कि सितंबर की 95,131 करोड़ रुपए की वसूली से काफी कम है.
क्या है ई-वे बिल?
ई-वे बिल वह व्यवस्था है जिसके अंतर्गत अगर किसी वस्तु का एक राज्य से दूसरे राज्य या फिर राज्य के भीतर मूवमेंट होता है तो सप्लायर को ई-वे बिल जनरेट करना होगा. नई व्यवस्था में 50,000 रुपये से अधिक मूल्य का सामान लाने ले जाने के लिये ई-वे बिल की आवश्यकता होगी. किसी एक राज्य के भीतर दस किलोमीटर के दायरे में माल भेजने पर आपूर्तिकर्ता को जीएसटी पोर्टल पर उसका ब्यौरा डालने की जरूरत नहीं होगी.
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