नई दिल्ली: कोरोना वायरस महामारी के इलाज़ में इस्तेमाल होने वाले सामानों, दवाइयों और वैक्सीन पर फ़िलहाल जीएसटी लगती रहेगी. इस मुद्दे पर कल हुई जीएसटी काउंसिल की बैठक बेनतीजा रही. इन मसले पर चर्चा के लिए एक मंत्रिसमूह यानि जीओएम का गठन किया गया है, जिसे 8 जून तक अपनी रिपोर्ट सौंपने को कहा गया है.


कोरोना से जुड़े सामानों को GST मुक्त किए जाने की मांग


वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की अध्यक्षता में हुई काउंसिल की बैठक में कोरोना के इलाज से जुड़े सामानों और वैक्सीन पर जीएसटी दरें कम करने को लेकर विस्तृत चर्चा हुई. कई राज्यों ने इसमें कमी किए जाने से लेकर इसे जीएसटी मुक्त किए जाने तक की मांग की. इनमें ज़्यादातर गैर बीजेपी शासित राज्यों के वित्त मंत्री थे.


हालांकि बैठक में ये मामला उठा कि जीएसटी दरें कम करने या बिल्कुल ख़त्म करने के फ़ैसले से आम लोगों को फ़ायदा होगा या इस छूट का फ़ायदा केवल अस्पतालों को ही मिलेगा. ऐसे में किसी सहमति पर पहुंचने के लिए एक मंत्रिसमूह बनाया गया है जो 8 जून तक अपनी रिपोर्ट देगास जिसके बाद काउंसिल कोई अंतिम फ़ैसला करेगा.


आयात शुल्क में छूट की अवधि 31 अगस्त तक बढ़ाई गई


हालांकि बैठक में एक राहत भरा फैसला ज़रूर लिया गया. कोरोना के इलाज से जुड़े सामानों के आयात पर 3 मई से जारी आयात शुल्क में छूट की अवधि 31 अगस्त तक बढ़ा दी गई है. पहले ये छूट 31 जुलाई तक थी. अब इस छूट में ब्लैक फंगस के इलाज़ से जुड़ी दवाइयां भी शामिल कर ली गई हैं.


एक और बदलाव भी किया गया है. अब अगर कोई संस्था या एनजीओ बाहर से कोई सामान मंगाकर उसे मुफ़्त बांटता है तो भी उसे आयात शुल्क से छूट मिलेगी. पहले ये सुविधा तभी मिलती अगर बाहर से आया सामान मुफ्त हो. बैठक में राज्यों को मुआवजा में हो रही देरी और जीएसटी रिटर्न फाइल करने में हो रही परेशानी पर भी चर्चा हुई. रिटर्न फ़ाइल करने के लिए कई राहतों का फ़ैसला किया गया.


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