GST काउंसिल बैठक: सीएम केजरीवाल ने पीएम मोदी को लिखा पत्र, राज्यों को वित्तीय संकट से उबारने के लिए की ये अपील
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा कि जीएसटी काउंसिल को केंद्र को अपनी ओर से कर्ज लेने के लिए अधिकृत करने पर विचार करना चाहिए और सेस कलेक्शन की अवधि 2022 से आगे बढ़ानी चाहिए.
नई दिल्ली: GST काउंसिल की बैठक में केंद्र सरकार की तरफ से राज्यों को दिए गए विकल्पों को लेकर दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखा है. पत्र में सीएम केजरीवाल ने कहा है कि भारत सरकार के वित्त मंत्रालय की तरफ से दो विकल्प दिए गए हैं, जिनमें राज्यों को कर्ज लेने और फिर पुनर्भुगतान करने के लिए कहा गया है, इससे राज्यों पर भारी बोझ पड़ेगा. प्रधानमंत्री से कोरोना संकट से उबरने के लिए कानूनी रूप से व्यवहारिक विकल्प पर विचार करने की अपील करते हुए अरविंद केजरीवाल ने कहा कि जीएसटी काउंसिल को केंद्र को अपनी ओर से कर्ज लेने के लिए अधिकृत करने पर विचार करना चाहिए और सेस कलेक्शन की अवधि 2022 से आगे बढ़ानी चाहिए.
27 अगस्त को जीएसटी काउंसिल ने राज्यों को अपने जीएसटी राजस्व की कमी को पूरा करने के लिए कर्ज लेने के दो विकल्पों की पेशकश की थी, क्योंकि कार और तंबाकू जैसी वस्तुओं से मिलने वाला जीएसटी सेस इस वित्तीय वर्ष की भरपाई के लिए पर्याप्त नहीं था. केंद्र ने निर्देश दिया है कि राज्य सरकारें एक विशेष विंडो के माध्यम से या तो भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) से कर्ज़ ले सकती हैं या बाजार से कर्ज उठा सकती हैं.
जीएसटी रिफॉर्म को भारत के इनडायरेक्ट टैक्स स्ट्रक्चर में लैंडमार्क करार देते हुए सीएम अरविंद केजरीवाल ने पत्र में कहा है कि जीएसटी कलेक्शन में कमी को पूरा करने के लिए राज्यों को जीएसटी मुआवजे का आश्वासन उन मुख्य आधार में से एक है, जिन पर जीएसटी की पूरी इमारत टिकी हुई है. केजरीवाल ने कहा कि सभी राज्य मिल कर उस अभूतपूर्व स्थिति को दूर करेंगे, जिसे कोविड-19 महामारी ने सामूहिक रूप से देश के सामने लाया है.
पत्र में केजरीवाल ने कहा है, "केंद्रीय वित्त मंत्रालय की तरफ से पेश किए गए कर्ज लेने के दो विकल्प, जो प्राथमिक रूप से राज्यों को उधार लेने के लिए कहता है और फिर देनदारियों का पुनर्भुगतान करने से राज्यों पर अधिक बोझ डाल देगा, जो कि राजस्व संग्रहों में कमी और कोरोना से उत्पन्न खर्च की बढ़ती प्रतिबद्धता के कारण वित्तीय संकट से गुजर रहा है. वस्तु और सेवा कर (राज्यों को मुआवजा अधिनियम, 2017) के 101वें संशोधन अधिनियम, 2016 के तहत जीएसटी को लागू करने के कारण होने वाले राजस्व के नुकसान पर राज्यों को मुआवजा देने का प्रावधान किया गया है. जीएसटी के लागू होने और कोविड-19 महामारी के कारण होने वाले नुकसान के बीच एक आर्टिफिशियल डिस्टिंग्शन मुआवजा अधिनियम की भावना के खिलाफ है और यह केंद्र एवं राज्यों के बीच एक विश्वास की कमी पैदा करेगा, जिससे भविष्य में राज्यों को इस तरह के बड़े राष्ट्रीय लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए एक साथ आने में संकोच होगा, जैसा कि जीएसटी के लागू करने के माध्यम से किया गया था."
इसके साथ ही अरविंद केजरीवाल ने ये भी कहा है कि केंद्र की तरफ से प्रस्तावित विकल्पों में राज्यों की तरफ से कर्ज लेने की प्रक्रिया बोझिल होगी. राज्यों के माध्यम से ऋण चुकाने और अंतिम पुनर्भुगतान भी इसी तरह बोझिल और घुमावदार हो जाएगा.
प्रधानमंत्री से स्थाई विकल्प के लिए अनुरोध करते हुए अरविंद केजरीवाल ने कहा है कि इस परिस्थिति को देखते हुए ये निवेदन है कि भारत सरकार की तरफ से कर्ज लेने के लिए अधिक सरल और कानूनी रूप से टिकाऊ विकल्प पर विचार किया जाना चाहिए, जो कि साल 2021 और 2022 में मुआवजे की आवश्यकता की पूर्ति के लिए, भारत सरकार की तरफ से 2022 के बाद एकत्र किए जाने वाले सेस से चुकाया जाएगा. इस प्रयोजन के लिए जीएसटी परिषद भारत सरकार को इसके लिए कर्ज लेने के लिए अधिकृत करने पर विचार कर सकती है और और सेस संग्रहण की अवधि साल 2022 से आगे बढ़ाएं. मुझे बताया गया है कि 41वीं जीएसटी परिषद की बैठक में विचार-विमर्श के दौरान अधिकांश राज्यों की इस पर सहमति थी. अगर इस विकल्प का उपयोग किया जाता है, तो यह सभी राज्यों को स्वीकार्य होगा और ऐसी स्थिति में उनका साथ देने और कोविड-19 महामारी के कारण उत्पन्न वित्तीय संकट से उबरने में राज्यों की मदद करने के लिए राज्य सरकारें केंद्र की आभारी होंगी.