नई दिल्ली: सरकार का कहना है कि पूरे देश को एक बाजार बनाने वाली कर व्यवस्था, वस्तु व सेवा कर यानी जीएसटी के दौर में शिक्षा महंगी नहीं होंगी. सरकार का ये रुख बाजार मे चल रही उन अटकलों के मद्देनजर आया है जिसमे कहा गया कि नए दौर में पढ़ाई लिखाई पर ज्यादा खर्च करना होगा.
वित्त मंत्रालय ने दी सफाई, अटकलों को किया खारिज
वित्त मंत्रालय ने शिक्षा महंगी होने की तमाम अटकलों को खारिज कर दिया. नयी कर व्यवस्था से शिक्षा और स्वास्थ्य को तो अलग रखा गया है, लेकिन कहा जा रहा है कि शिक्षा से जुड़ी कई सेवाएं जैसे कैंटिन, ट्रांसपोर्ट पर 15 फीसदी की सर्विस टैक्स की जगह 18 फीसदी तक की दर से जीएसटी देना पड़ रहा है. नतीजा टयूशन फीस पर भले ही जीएसटी के दायरे में नहीं होता है लेकिन संबंधित सेवाओं पर खर्च बढ़ेगा जिससे पढ़ाई लिखाई का बजट बढ जाएगा.
जीएसटी के दौर में शिक्षा से जुड़े विषयों में कोई फेरबदल नहीं
फिलहाल, केंद्र सरकार का कहना है कि जीएसटी के दौर में शिक्षा से जुड़े विषयों में कोई फेरबदल नहीं किया है. अलबत्ता कुछ सामान जैसे स्कूल बैग पर जीएसटी की दर, पुरानी दरो से कम रखी गयी है. यही नहीं एक शिक्षण संस्थाओं की ओर से छात्रों, अध्यापकों और कर्मचारियो को दी जारी रही सेवाओं पर जीएसटी नही लगेगा.
इन सेवाओं में नर्सरी से लेकर हायर सैकेंडरी या उसके बराबर की शिक्षा, कानून के तहत मान्यता प्राप्त किसी खास तरह की योग्यता हासिल करने के लिए शिक्षा, और वोकेशनल एजुकेशन कोर्स के तहत हासिल की जाने वाली शिक्षा शामिल हैं.
इस सेवाओं पर कोई टैक्स नहीं
इसी तरह किसी भी शिक्षण संस्थान (जहां नर्सरी से लेकर हायर सैकेंडरी तक की पढ़ाई होती है) के छात्रों, अध्यापकों और कर्मचारियों को लाने-ले जाने पर जीएसटी नहीं लगेगा. ऐसी शिक्षण संस्थान में कैटरिंग (जिसमें मिड डे मिल स्कीम भी शामिल है) पर जीसटी नहीं वसूला जाएगा. दूसरी ओर इन विद्यालयों में सिक्यूरिटी, हाउसकीपिंग सर्विस, एडमिशन टेस्ट कराने जैसी सेवाओं पर भी जीएसटी नहीं लगेगा.
वैसे यहां स्पष्ट करना जरुरी है कि अगर किसी शिक्षण संस्थान को कोई निजी कंपनी कैंटीन या फिर ट्रांसपोर्ट की सुविधा मुहैया कराती है तो उन्हे पहले भी सर्विस टैक्स देना होता था, उन्हे अब जीएसटी देना होगा. मतलब इनके लिए कर की व्यवस्था में कोई बदलाव नही हुआ है.
वित्त मंत्रालय का कहना है कि अनाथ या बेघर बच्चों, शारीरिक व मानसिक रुप से प्रताड़ित लोगो, कैदियों और ग्रामीण इलाकों में 65 वर्ष से ज्यादा उम्र के लोगों के लिए शिक्षा या कौशल विकास की योजनाएं चलाने वालों को भी जीसटी से मुक्त रखा गया है.