नई दिल्ली: एक देश-एक कर के लक्ष्य वाले जीएसटी लागू होने को ऐतिहासिक क्षण करार देते हुए राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने शुक्रवार देर कहा कि एकीकृत साझा राष्ट्रीय बाजार का सृजन करने के साथ जीएसटी से आथर्कि दक्षता, कर अनुपालन और निवेश को काफी बढ़ावा मिलेगा.


राष्ट्रपति ने शुक्रवार देर रात संसद के ऐतहासिक केन्द्रीय कक्ष में घंटा बजाकर माल और सेवा कर (जीएसटी) लागू होने की विधिवत घोषणा की. इससे पहले उन्होंने समारोह को संबोधित करते हुए कहा, "कुछ ही पलों में हम माल और सेवा कर (जीएसटी) देश में लागू करने के साक्षी बनेंगे जो एक एकीकृत कर प्रणाली है." उन्होंने कहा कि यह ऐतिहासिक क्षण उस 14 साल लंबी यात्रा का समापन है जो दिसंबर 2002 में तब शुरू हुई थी जब परोक्ष कर के बारे में केलकर कार्य बल ने मूल्य वधर्ति कर सिद्धांत के आधार पर माल और सेवा कर का सुझाव दिया था. उन्होंने कहा कि वर्ष 2006-07 के आम बजट में जीएसटी का प्रस्ताव किया गया था.


जीएसटी लागू करते हुए प्रणब मुखर्जी ने इसकी तुलना बच्चों के दांत निकलने से की, राष्ट्रपति ने कहा कि दांत किसी के लिए भी जरूरी होते हैं लेकिन ये जब निकलते हैं तो थोड़ा कष्ट जरूर होता है.


राष्ट्रपति ने जीएसटी लागू होने को अपने लिए भी एक संतोष का क्षण बताया. उन्होंने कहा, "यह मेरे लिए भी संतोष का पल है क्योंकि वित्त मंत्री के रूप में मैंने 22 मार्च 2011 में मैंने संविधान संशोधन विधेयक पेश किया था. मैं डिजाइन और क्रियान्वयन से करीबी रूप से जुड़ा रहा तथा मुझे राज्यों के वित्त मंत्रियों के साथ औपचारिक और अनौपचारिक रूप से मुलाकात का अवसर मिला."


उन्होंने कहा, "एकीकृत साझा राष्ट्रीय बाजार का निर्माण कर जीएसटी आथर्कि दक्षता, कर अनुपालन तथा विदेशी और घरेलू निवेश को भारी बढ़ावा देगा." उन्होंने कहा, "मुझे बताया गया कि जीएसटी को आधुनिक विश्व स्तरीय सूचना प्रौद्योगिकी प्रणाली के माध्यम से प्रशासित किया जाएगा.


मुखर्जी ने जीएसटी को बदलाव लाने वाला बताया. उन्होंने कहा, "यह वैट को लागू करने के समान है जिसमें शुरआत में विरोध हुआ था. जब इतने व्यापक पैमाने पर बदलाव होता, भले ही वह जितना सकारात्मक क्यों न हो, उसमें कुछ शुरआती दिक्कतें आना लाजमी है. हमें इसे समझकर और गति से समाधान निकालना होगा ताकि इससे अर्थव्यवस्था की विकास गति प्रभावित न हो."



उन्होंने कहा, "इस प्रकार के बड़े बदलाव की सफलता उसके प्रभावी क्रियान्वयन पर निर्भर करती है. आने वाले महीनों में वास्तविक क्रियान्वयन के अनुभवों के आधार पर जीएसटी परिषद तथा केन्द्र और राज्य सरकारों को निरंतर डिजाइन की समीक्षा करनी चाहिए और उसकी भावना के साथ बेहतरी के प्रयास करने चाहिए जैसा कि उन्होंने अभी तक प्रदशर्ति की है." राष्ट्रपति ने प्रत्येक भारतीय से अपील की कि वह इस नयी कर प्रणाली को सफलतापूर्वक लागू करने में सहयोग दें.