जनवरी में GST कलेक्शन ने तोड़े अब तक के सारे रिकार्ड, एक लाख 20 हजार करोड़ के करीब पहुंचा आंकड़ा
जनवरी में जीएसटी कलेक्शन ने अब तक के सारे रिकार्ड तोड़ दिए हैं, वित्त मंत्रालय ने ट्वीट करके जानकारी दी है कि इस महीने एक लाख बीस हजार करोड़ के करीब जीएसटी कलेक्शन हुआ है.जनवरी 2021 में जीएसटी कलेक्शन एक लाख 19 हजार 847 करोड़ रुपये रहा. इस महीने में जीएसटी कलेक्शन साल भर पहले की तुलना में आठ फीसदी ज्यादा है.
GST Revenue collection: वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण आज देश का बजट पेश करेंगी. इससे पहले अर्थव्यवस्था के लिए बड़ी खुशखबरी आई है, जनवरी में जीएसटी कलेक्शन ने अब तक के सारे रिकार्ड तोड़ दिए हैं, वित्त मंत्रालय ने ट्वीट करके जानकारी दी है कि इस महीने एक लाख बीस हजार करोड़ के करीब जीएसटी कलेक्शन हुआ है. GST लागू होने के बाद तीन साल में यह सबसे ज्यादा कमाई है.
साल भर पहले की तुलना में 8 फीसदी ज्यादा
वित्त मंत्रालय ने अपने ट्वीट में एक ग्राफ शेयर कर लिखा है, ''जनवरी 2021 में जीएसटी कलेक्शन एक लाख 19 हजार 847 करोड़ रुपये रहा. इस महीने में जीएसटी कलेक्शन साल भर पहले की तुलना में आठ फीसदी ज्यादा है.''
✅GST Revenue collection for January 2021 almost touches ₹1.20 lakh crore ✅Revenues for month of January 2021 are 8% higher than GST revenues in same month last year ✅GST revenues during January 2021 are the highest since introduction of GST Read more➡️ https://t.co/kKpPlK0i4X pic.twitter.com/TG0hQW9oGp
— Ministry of Finance (@FinMinIndia) January 31, 2021
कहां-कहां से हुआ कलेक्शन?
मंत्रालय ने आगे बताया, ''इसमें केंद्रीय जीएसटी (सीजीएसटी) 21,923 करोड़ रुपये, राज्यों का जीएसटी (एसजीएसटी) 29,014 करोड़ रुपये, एकीकृत जीएसटी (आईजीएसटी) 60,288 करोड़ रुपये (सामानों के आयात से प्राप्त 27,424 करोड़ रुपये) और उपकर 8,622 करोड़ रुपये (माल के आयात पर एकत्र 883 करोड़ रुपये सहित) शामिल है.’’ जीएसटी बिक्री रिटर्न दाखिल करने की अधिक संख्या के कारण यह आंकड़ा और ज्यादा हो सकता है.
बता दें कि यह एक अंतरिम बजट समेत मोदी सरकार का नौवां बजट होने वाला है. यह बजट ऐसे समय पेश हो रहा है, जब देश कोरोना संकट से बाहर निकल रहा है. अर्थशास्त्रियों और विशेषज्ञों का कहना है कि यह बजट कोरोना महामारी की वजह से तबाह हुई अर्थव्यवस्था को वापस जोड़ने की शुरुआत होगा. उनका यह भी कहना है कि इस बजट को महज बही-खाते अथवा लेखा-जोखा या पुरानी योजनाओं को नये कलेवर में पेश करने से अलग हटकर होना चाहिए.
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