राजकोट का सिविल अस्पताल बना नवजातों की कब्रगाह, दिसम्बर में 111, जनवरी में अब तक 13 बच्चों की मौत
गुजरात में विपक्षी दल कांग्रेस के प्रमुख अमित चावड़ा ने आज राजकोट के सिविल अस्पताल के बाहर प्रदर्शन किया. कांग्रेस इस मुद्दे को विधानसभा में उठाने की बात कर रही है और सरकार से श्वेत पत्र की मांग कर रही है.
राजकोट: देश में सरकारी अस्पतालों में नवजात बच्चों की मौत का सिलसिला रुकने का नाम नहीं ले रहा है. अब गुजरात के राजकोट का सिविल अस्पताल बच्चों की नई कब्रगाह बन गया है. सरकारी आंकड़ों की बात करें तो दिसंबर महीने में 111 बच्चों की जान चली गई. जनवरी महीने के कुछ दिन ही गुजरे हैं पर 13 बच्चों की मौत अब तक राजकोट के सिविल अस्पताल में हो चुकी है. इस मामले में परिजन अस्पताल पर लापरवाही का आरोप लगा रहे हैं. अस्पताल सफाई दे रहा है और राजनीतिक दलों ने अपनी राजनीति शुरू कर दी है.
गुजरात का राजकोट इलाका जो धीरे-धीरे मेडिकल हब के तौर पर जाना जाने लगा है, जहां आसपास के ग्रामीण अंचल के लोग अपने परिजनों के इलाज के लिए आते हैं, अब चर्चा में है. दिसंबर महीने में सैकड़ों बच्चों की जान चली गई और जनवरी में भी 13 बच्चों की जान जा चुकी है. परिजनों का आरोप है कि अस्पताल में व्यवस्था की कमी है, बेड की कमी है, डॉक्टरों की कमी है, दवाइयों समेत संसाधनों की कमी है. जिसके चलते लगातार बच्चों की जान जा रही है. मध्य प्रदेश के धार के रहने वाले खेतिहर मजदूर से जब एबीपी न्यूज़ ने बात की तो अपनी दुखदाई कहानी बताते हुए उन्होंने बताया कि कैसे ऑटो में उसकी पत्नी की डिलीवरी हुई और 2 बच्चों का जन्म हुआ. अस्पताल में इलाज के दौरान एक बच्चे की मौत हो गई और दूसरे का भी बचना मुश्किल लग रहा है.
इन खबरों के बीच गुजरात में विपक्षी दल कांग्रेस के प्रमुख अमित चावड़ा ने आज राजकोट के सिविल अस्पताल के बाहर प्रदर्शन किया और आरोप लगाया कि राज्य के मुख्यमंत्री के गृह जिले में इस तरह के हालात बने हुए हैं. उन्होंने आरोप लगाया कि अस्पतालों में डॉक्टरों की संख्या 70% कम है. पूरे राज्य में 1 साल में 25000 से ज्यादा बच्चों की मौत हो चुकी है. कांग्रेस इस मुद्दे को विधानसभा में उठाने की बात कर रही है और सरकार से श्वेत पत्र की मांग कर रही है.
सिविल अस्पताल के मेडिकल सुपरिटेंडेंट मनीष मेहता ने सफाई देते हुए कहा कि अस्पताल में सुविधाएं पूरी हैं. वार्ड पूरे हैं और जो सुविधा लोगों को चाहिए मिल रही है. अपनी सफाई देते हुए उन्होंने यह भी कहा कि जनवरी में जिन 13 बच्चों की मौत हुई है उनमें से 10 बाहर से आए थे जिनके चलते नाम खराब हुआ है. क्योंकि अस्पताल उन्हें टाइम पर रेफर नहीं करते हैं.