गांधीनगर: गुजरात में विधानसभा के चुनाव बेहद करीब आ गए हैं. टिकट बंटवारे को लेकर बीजेपी और कांग्रेस में अंदरूनी कलह सामने आई है. कांग्रेस ने अपने 77 उम्मीदवारों की लिस्ट जारी कर दी है. इसमें कांग्रेस ने पाटीदार अनामत आंदोलन समिति (पास) के दो नेताओं की टिकट दिया है. लेकिन अब इन दो टिकटों को लेकर कांग्रेस और पास के बीच लड़ाई शुरु हो गई है.

हम दोनों उम्मीदवारों का विरोध करेंगे- दिनेश बांभणिया

दरअसल पाटीदार अनामत आंदोलन समिति के नेता दिनेश बांभणिया का कहना है कि उन्हें भरोसे में लिए बिना दो लोगों को टिकट दिया गया है. बता दें कि दोनों सीटों पर पास के उम्मीदवारों ने नामांकन दाखिल कर दिया है. लेकिन अब दिनेश बांभणिया ने कहा है कि हम दोनों उम्मीदवारों का विरोध करेंगे.

उधर सूत्रों ने एबीपी न्यूज़ को बताया है कि आरक्षण पर कांग्रेस के फॉर्मूले पर सहमति काफी पहले बन चुकी थी, लेकिन असली मुद्दा सीटों को लेकर था. जिसपर पेंच अटका हुआ था. ‘पास’ ने अपने नेताओं के लिए 25 सीटों की मांग की थी, लेकिन 11 सीटों पर सहमति बनी.

अहमद पटेल और अशोक गेहलोत के बीच हुई बैठक 

पहली लिस्ट में केवल दो नाम सामने आने के बाद कांग्रेस के खिलाफ गुस्सा तेज़ हो गया है. ऐसे में पास कांग्रेस के विरोध में आती दिख रही है. जबकि पहले उसका झुकाव कांग्रेस की तरफ था. विरोध बढ़ता देख आज सुबह कांग्रेस नेता अहमद पटेल और अशोक गेहलोत के बीच बैठक हुई.

सूत्रों का कहना है कि विरोध के मद्देनज़र ज़ारी हुई लिस्ट और आने वाली लिस्ट में कुछ बदलाव हो सकते हैं. ऐसे में अंदरूनी कलह और भी बढ़ सकती है. यहीं कारण है कि कांग्रेस कार्यालय के बाहर सुरक्षा कड़ी कर दी गयी है. आपको बता दें कि कांग्रेस कार्यालय का तीन करोड़ का बीमा भी कराया गया है.

वहीं, रविवार देर रात हुए दिनेश बांभणिया की तरफ से मिड नाइट ड्रामे को हार्दिक की ही रणनीति के तौर पर देखा जा रहा है, ताकि कांग्रेस पर सीटों को लेकर दबाव बनाया जा सके.

क्या कांग्रेस-पास के बीच बनी है आरक्षण को लेकर आपसी सहमति?

पास के भीतर भी सीटों को लेकर मानों होड़ मची हुई है. रविवार शाम को हुई कांग्रेस और पाटीदार आरक्षण आंदोलन समिति के बीच बैठक में जहां यह स्पष्ट हो गया था कि दोनों के बीच आरक्षण को लेकर आपसी सहमति बन चुकी है वहीं इस पूरी कहानी में अब नया मोड़ आ गया है.

बैठक से बाहर निकलकर कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष भरत सिंह सोलंकी ने कहा कि जिन मुद्दों पर बात अटकी हुई थी, उस पर सहमति बन चुकी है. आरक्षण को लेकर फॉर्मूला बताया गया है उसको लेकर भी 'पास' सहमत हो गयी है. हालांकि यह फॉर्मूला क्या है उस पर खुलासा नहीं हुआ है.

सीट को लेकर क्यों किया जा रहा है बवाल?

उधर कांग्रेस और पास दोनों ही कह रहे हैं कि सीटों की कोई मांग नहीं रखी गयी. तो दूसरी और इन्ही नेताओं ने आरक्षण पर सहमति की बात कही थी. ऐसे में सवाल यह कि जब कोई मुद्दा ही नहीं तो विरोध किस बात का? सवाल यह भी कि अगर आरक्षण पर सहमति बनी और मुद्दा अगर आरक्षण का ही था तो सीट को लेकर ये बवाल क्यों किया जा रहा है?