Gujarat Assembly Election 2022: सियासत में जब भी दोस्ती का जिक्र होता है तो दो नाम सबके मुंह पर होते हैं. वो दो नाम हैं केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी. दोनों 1987 से एक दूसरे के साथ हैं. यानी ये साथ लगभग 35 सालों का है. आज इन दोनों नेताओं की जोड़ी चाहे विधानसभा की पिच पर हो या लोकसभा की, पार्टी की जीत सुनिश्चित कर देती हैं.


इन दोनों नेताओं के सामने फिलहाल सबसे बड़ी चुनौती अपने गृहराज्य गुजरात में विधानसभा चुनाव में सत्ता बचाना है और साथ ही हिमाचल में भी एक बार फिर जीत दर्ज करनी है.  साल 2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव में महज दो साल का वक्त बचा है. ऐसे में मोदी-शाह की जोड़ी अपने गृह राज्य गुजरात में हर हाल में न सिर्फ जीत चाहेगी बल्कि सीटों में की भी रिकॉर्ड बढ़ोतरी दर्ज करना चाहेगी.


गुजरात को लेकर अलग-अलग सर्वे में कई बातें सामने आए हैं. ऐसे में एबीपी न्यूज़ सी वोटर के सर्वे में ये भी सामने आया है कि गुजरात में मोदी-शाह के काम को कितने प्रतिशत लोगों ने पसंद किया है. 


क्या कहते हैं सर्वे


इस सर्वे में गुजरात की जनता के लिए सवाल था कि वो किस पार्टी को वोट करेंगे. इन लोगों के सामने चुनावी मुद्दे को रखा गया. जिनमें ध्रुवीकरण, राष्ट्रीय सुरक्षा, मोदी-शाह का काम, राज्य सरकार का काम, आम आदमी पार्टी और अन्य जैसे मुद्दे शामिल थे. 


मोदी-शाह के काम को 17 प्रतिशत लोगों ने वोट दिया है. यानी गुजरात विधानसभा चुनाव में पीएम मोदी और अमित शाह के काम के आधार पर 17 फीसदी लोगों ने वोट करने के बारे में बात मानी.


वहीं ध्रवीकरण को 19 प्रतिशत, राष्ट्रीय सुरक्षा को 27 प्रतिशत, राज्य सरकार के काम को 16 प्रतिशत, आम आदमी पार्टी को 16 प्रतिशत और अन्य 5 प्रतिशत को मुद्दा माना है. 


इसके अलावा, किसी पार्टी को कितने वोट मिलेंगे इस सवाल को भी रखा गया. इसके जवाब में जनता ने बीजेपी को 56 प्रतिशत, कांग्रेस को 17 प्रतिशत और आम आदमी पार्टी को 20 प्रतिशत लोग सीटें देने के पक्ष में हैं. 


सातवीं बार सत्ता में आने के लिए जोर लगा रही बीजेपी


बीजेपी गुजरात में साल 1995 से लगातार सत्ता में है. जीत का सिक्सर लगा चुकी बीजेपी इस बार सातवीं बार सत्ता में आने के लिए जोर लगा रही है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने खुद चुनाव प्रचार की कमान संभाल रखी है. इस बार बीजेपी को कांग्रेस के साथ-साथ अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी से भी चुनौती मिल रही है.वहीं कांग्रेस भी राज्य में अपना 27 साल का वनवास खत्म करने की कोशिश में है.