दिसंबर में होने वाले गुजरात चुनाव से पहले राहुल गांधी तीन दिनों के गुजरात दौरे पर हैं. इस बार वे दक्षिण गुजरात में पार्टी के लिए प्रचार कर रहे हैं. कांग्रेस ने राहुल के प्रचार अभियान को नवसृजन यात्रा का नाम दिया है. इसके तीसरे चरण के पहले दिन बुधवार को भरूच के जम्बुसर की सभा में राहुल गांधी ने दावा किया कि वोटिंग के दिन बीजेपी को करंट लगेगा. लेकिन इस जोशीले भाषण से पहले राहुल ने मंच पर पंडितों से आशीर्वाद लिया और पूजा की.
राहुल के मंच पर पहुंचे पंडित जम्बुसर के स्थानीय मंदिरों के पुजारी हैं. पंडित ओमकार गिरी कहना है कि वो और दो अन्य पंडित अपनी मर्जी से मंच पर गए थे. उनका कार्यक्रम राजनीतिक उद्देश्य से नहीं था. लेकिन ये समझना मुश्किल नहीं है कि क्या वाकई कोई पंडित अपनी मर्जी से SPG सुरक्षा घेरे में रहने वाले राहुल गांधी तक पहुंच सकता है? जाहिर है कार्यक्रम सोच समझ कर पहले से बना होगा.
अहम बात ये है कि जिस इलाके में ये सभा हो रही थी वो एक मुस्लिम बहुल इलाका था और राहुल को सुनने के लिए भीड़ में भी ज्यादा मुस्लिम समुदाय के लोग थे. ऐसे में भी राहुल के मंच पर पंडितों का आना क्या संदेश देता है. राहुल अपने भाषणों में 2002 दंगों की बात भी नहीं कर रहे.
गुजरात में लगभग 10 फीसदी मुस्लिम आबादी है. इस वर्ग का ज्यादातर वोट कांग्रेस को ही जाता है. लेकिन पिछले चुनावों में हिंदुत्व कार्ड के सहारे बीजेपी को ध्रुवीकरण का फायदा मिलता रहा है. कांग्रेस की रणनीति साफ है कि गुजरात में 22 सालों के बीजेपी शासन के संभावित एन्टी इनकंबेंसी को वोटरों के धार्मिक ध्रुवीकरण से हर हाल में बचाया जाए. शायद इसलिए राहुल हिन्दू वोटबैंक को लुभाने की कोशिश में दिख रहे हैं. नवसृजन यात्रा की शुरुआत भी उन्होंने मंदिरों में पूजा पाठ से की थी. ये सिलसिला यात्रा के तीसरे चरण में जारी है. गुरुवार को राहुल को तापी जिले के उनाई माता मंदिर में आना था. हालांकि रायबरेली हादसे के कारण उन्हें कार्यक्रम बदलना पड़ा.
बीजेपी को राहुल की इस रणनीति का एहसास है. प्रधानमंत्री मोदी गुरुवार शाम अहमदाबाद के अक्षरधाम मंदिर के एक कार्यक्रम में शामिल हुए. अब भगवान का आशीर्वाद किसे मिलता है ये चुनाव के नतीजों से ही स्पष्ट होगा.